बिहार के पटना (Patna) में गंगा घाट (Ganga Ghat) पर बैठे छात्रों की तस्वीरें इन दिनों काफी तेजी से वायरल हो रही हैं। ये छात्र शनिवार-रविवार की सुबह यहां जुटकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं। ये सभी छात्र आमतौर पर RRB-NTPC और ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी करते हैं। पटना के ही एक शिक्षक एस के झा यहां इन छात्रों का मॉक टेस्ट लेते हैं जिसके ज़रिए ये छात्र अपनी तैयारी का मूल्यांकन कर पाते हैं।
स्कूल या कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपेस के बगीचे में, लाइब्रेरी में, फ़ुटपाथ पर और यहां तक कि मंदिर में आपने छात्रों को एक साथ बैठकर पढ़ते देखा होगा। ये एक आम सा नज़ारा मालूम होता है, और इस बात से ज्यादातर लोग इत्फाक करेंगे कि ग्रुप स्टडीज़ से फ़ायदा भी होता है। लेकिन बिहार के पटना के ये छात्र ज़रा अलग हैं, सीमित संसाधन में भी ये रास्ता ढ़ूंढ ही लेते हैं। ये शायद देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां स्टेशन पर भी छात्र एकसाथ बैठकर ग्रुप स्टडी कर लेते हैं।
इसी बिहार से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जहां सैंकड़ों छात्र नदी किनारे (Ganga Ghat) बने घाट की सीढ़ियों पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। बिजनेसमैन हर्ष गोयन्का ने इस तस्वीर को ट्विटर पर साझा किया है। उन्होंने तस्वीर के कैप्शन में लिखा, ‘पटना, बिहार के बच्चे गंगा नदी के किनारे (Ganga Ghat) बैठ प्रतियोगिता परीक्षा (Competitive Exam) की तैयारी कर रहे हैं। ये उम्मीद और सपनों की तस्वीर है।’
क्या है तस्वीर के पीछे की सच्चाई
बिहार समेत देश के कई राज्य आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। ग़ौरतलब है कि बिहार के छात्र समस्या को लेकर परेशान होने के बजाए उसका हल ढूंढते हैं। रिपोर्ट के अनुसार जून में RRB ग्रुप D की परीक्षा होने वाली है। बिहार के लाखों छात्र इस परीक्षा में बैठने वाले हैं।
इसी परीक्षा की तैयारी ये छात्र पटना के गंगा घाट (Ganga Ghat) पर बैठकर कर रहे हैं। गंगा घाट पर कोचिंग रोज़ाना 2 घंटे चलती है। छात्र 4 बजे ही यहां पहुंच जाते हैं और पढ़ाई में एक-दूसरे की मदद करते हैं। पहले सिर्फ़ कॉलेज घाट पर ये नजारा देखने को मिलता था लेकिन अब काली घाट, कदम घाट पर भी छात्र इकट्ठा होने लगे हैं।
हज़ारों छात्र पटना के घाट पर रेलवे (RRB) और एसएससी (SSC) की तैयार करते हैं। एस के झा नाम के शिक्षक बच्चों की मदद करते हैं। एस के झा के शब्दों में, ‘बेरोज़गारी को हम ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हम सभी छात्र और अध्यापक रोज़ एक कदम आगे चल रहे हैं। शनिवार रविवार को सुबह 6 बजे हम टेस्ट करवाते हैं. 12000-14000 छात्र आते हैं। मैं पिछले दो महीनों से बिना कोई फ़ीस लिए इन्हें पढ़ा रहा हूं। 30-35 लोगों की एक टीम पूरे हफ़्ते छात्रों के लिए टेस्ट पेपर बनाने का काम करती है।’
ये तस्वीरें देखकर सासाराम जंक्शन की वो तस्वीर भी याद आ जाती है जब गांव में बिजली न होने की वजह से सैंकड़ों छात्र रोज़, सासाराम जंक्शन के प्लेटफ़ॉर्म पर बैठकर पढ़ाई करते थे। ग़ौरतलब है कि स्टेशन वाली कोचिंग तो अब बंद हो गई है। बिहार के छात्रों के जूनून को सलाम, ये हम सभी के लिए प्रेरणा हैं।