Jaivana Cannon:भारत ने आज जिस तरह से पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब दिया है, उसने हर भारतीय को गर्व से भर दिया है। हमारी सेना का शौर्य और पराक्रम देखकर हम सबका सीना चौड़ा हो गया है। ऐसे समय में हमें अपने इतिहास की उन उपलब्धियों को भी याद करना चाहिए, जो भारत की सैन्य शक्ति की मिसाल रही हैं। उन्हीं में से एक है जयवाना तोप, जो न सिर्फ एशिया की बल्कि दुनिया की भी सबसे बड़ी पहियों पर चलने वाली तोपों में से एक मानी जाती है।
जयवाना तोप की खासियत क्या है?
जयगढ़ किले में रखी जयवाना तोप को 1720 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। ये तोप लगभग 50 टन भारी है और इसकी लंबाई करीब 20 फीट है। इसे जयगढ़ की ही तोप फैक्ट्री में तैयार किया गया था। माना जाता है कि यह तोप 50 किलो तक के गोले को कई किलोमीटर दूर तक मार सकती थी। हालांकि, इसे कभी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया।
तोप का इतिहास और एकमात्र फायरिंग
इस तोप को सिर्फ एक बार परीक्षण के लिए चलाया गया था। स्थानीय लोगों की मानें तो गोला 35 किलोमीटर दूर जाकर गिरा, जिससे ज़मीन में एक बड़ा गड्ढा बन गया। वही गड्ढा आज तालाब में बदल चुका है, जो आज भी लोगों के लिए पानी का स्रोत है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि यह तोप कितनी ताकतवर थी।
नक्काशी और डिजाइन की बेमिसाल मिसाल
इस तोप की बाहरी बनावट भी देखने लायक है। इसमें उस समय के राजा का नाम, कुछ पौराणिक जीवों की आकृतियां, धार्मिक श्लोक, फूल-पत्तों के डिज़ाइन और ज्यामितीय आकृतियां उकेरी गई हैं। इससे उस दौर की कला और तकनीकी समझ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जयगढ़ किला – जयवाना का घर
जयगढ़ किला, जिसे “विजय का किला” भी कहा जाता है, अरावली की पहाड़ियों पर बना है। यह आमेर किले के पास स्थित है और जयपुर के संस्थापक महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। इसकी ऊंचाई की वजह से यह सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम था। यहां से आमेर किले और माओटा झील का शानदार नजारा दिखाई देता है।
रहस्यमयी सुरंग और आने-जाने की जानकारी
इस किले में एक गुप्त सुरंग भी है, जो इसे आमेर किले से जोड़ती है। माना जाता है कि युद्ध के समय इसका इस्तेमाल राजपरिवार के सुरक्षित निकलने के लिए किया जाता था।
समय और टिकट
खुला रहता है: सुबह 9:00 से शाम 4:30 बजे तक
टिकट
भारतीयों के लिए ₹35
विदेशियों के लिए ₹85
कैमरा शुल्क: ₹50 (स्टिल), ₹200 (वीडियो)
जयपुर रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से टैक्सी, ऑटो या बस द्वारा आमेर किला पहुंचें। वहां से जयगढ़ के लिए रोड और ट्रैकिंग दोनों विकल्प मौजूद हैं।