Kumbhalgarh Fort Rajasthan history : राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुंभलगढ़ किला भारत के सबसे विशाल और मजबूत किलों में से एक है। यह किला उदयपुर शहर से लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 2013 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह किला अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी में 1914 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है और चारों ओर से 13 खतरनाक और दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
कुंभलगढ़ किला न केवल राजस्थान का सबसे ऊँचा किला है, बल्कि इसकी दीवार विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है, जिसकी कुल लंबाई करीब 36 किलोमीटर और चौड़ाई लगभग 15 फीट है। यह इतनी चौड़ी है कि इस पर एक साथ 10 घुड़सवार आसानी से चल सकते हैं।
किले का निर्माण और इतिहास
इस किले का निर्माण 1443 में मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने करवाया था। इसे बनाने में लगभग 15 साल का समय लगा और यह 1458 में बनकर तैयार हुआ। शुरुआत में इसके निर्माण में कई परेशानियां आईं, जिसके चलते इसे बीच में रोकने का विचार भी किया गया। लेकिन एक ऋषि की सलाह पर इसे दोबारा शुरू किया गया और कुछ ही सालों में यह पूरा हो गया।
आर्किटेक्चर और अनोखी बनावट
कुंभलगढ़ किला समुद्र तल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी बनावट वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार की गई है। इसमें सात विशाल दरवाजे हैं, जिन्हें राम पोल, हनुमान पोल, भैरव पोल, हल्ला पोल, पगड़ी पोल, निम्बू पोल और पूनम पोल के नाम से जाना जाता है। किले के अंदर 360 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें 300 जैन मंदिर और 60 हिंदू मंदिर शामिल हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
किले की सुरक्षा और रणनीतिक बनावट
यह किला इतनी ऊँचाई पर स्थित है कि 500 मीटर की दूरी से इसे देख पाना लगभग नामुमकिन है। लेकिन अगर आप किले के ऊपर खड़े होकर देखें तो कई किलोमीटर दूर तक का नजारा आसानी से देख सकते हैं।
किले के अंदर महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, जलाशय, स्तंभ और छत्रियां पूरी तरह से युद्ध रणनीति और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। यहां समतल भूमि का उपयोग कृषि और भंडारण के लिए किया जाता था और ढलान वाले हिस्सों को जलाशयों के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
किले पर हुए आक्रमण और युद्ध
कुंभलगढ़ किला अपनी मजबूती और प्राकृतिक सुरक्षा के कारण कभी भी सीधे युद्ध में पराजित नहीं हुआ। हालांकि, 1576 में मुगल सेनापति शंभाज खान ने किले की जल आपूर्ति में ज़हर मिलाकर इसे जीत लिया था। इससे पहले, 1457 में गुजरात के अहमद शाह प्रथम और 1458, 1459 और 1467 में मोहम्मद खिलजी ने इसे जीतने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहे।
यहीं पर मेवाड़ के महाराणा उदय सिंह का पालन-पोषण पन्ना धाय ने किया था। यह किला मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी भी रहा और महाराणा सांगा और पृथ्वीराज चौहान का बचपन भी यहीं बीता था।
कुंभलगढ़ घूमने की सही जानकारी
अगर आप कुंभलगढ़ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अक्टूबर से मार्च का महीना सबसे सही समय है।
किले की एंट्री फीस, 40 रुपये प्रति व्यक्ति
लाइट एंड साउंड शो की फीस, वयस्कों के लिए 100 रुपये, बच्चों के लिए 50 रुपये
यहां कैसे पहुंचें
नजदीकी एयरपोर्ट, उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट (64 किमी दूर)
नजदीकी रेलवे स्टेशन, फालना और उदयपुर रेलवे स्टेशन (80-90 किमी दूर)
सड़क मार्ग से दूरी:
राजसमंद से 48 किमी
नाथद्वारा से 51 किमी
उदयपुर से 105 किमी
जयपुर से 345 किमी
कुंभलगढ़ किला सिर्फ राजस्थान ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे शानदार किलों में से एक है। इसकी ऊंचाई, दीवारों की लंबाई और सुरक्षा प्रणाली इसे अभेद्य और ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाती है। अगर आप कभी राजस्थान जाएं, तो कुंभलगढ़ किला जरूर देखें इसकी अनोखी बनावट और ऊंचाई इसे देखने लायक ऐतिहासिक धरोहर बनाती है।