गोरखपुर। काला नमक धान चावल की एक प्रजाति है जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिध्दार्थ नगर सहित 10 पड़ोसी जिलों के तराई क्षेत्र में उगाया जाता है। विलुप्त हो रहे धान की इस प्रजाति को बचाने के लिये सीएम योगी ने कई तरह के कदम उठाये हैं। इसे भगवान बुद्ध का महाप्रसाद भी माना जाता है। अब इस पर पहली बार पुस्तक लिखी गई है। डा. रामचेत चौधरी द्वारा लिखी गई इस पुस्तक को सिद्धार्थनगर जिले में होने वाले कपिलवस्तु महोत्सव में सामने लाई जाएगी। यह पुस्तक महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक के विलुप्त होने, उसके बचाव और इसके विस्तार के लिये किये जा रहे कामों को बताएगी। कालानमक धान पर पहली अधिकारिक रूप से लिखी यह 200 पन्नों की पुस्तक ‘स्टोरी आफ कालानमक राइस-पास्ट, प्रजेंट एवं फ्यूचर’ महोत्सव के दौरान लोकार्पित होगी।
गौरतलब है कि 28 जनवरी से पहली फरवरी तक सिद्धार्थनगर में कपिलवस्तु महोत्सव-2023 का आयोजन होने वाला है, जिसमें कालानमक धान पर प्रकाशित इस पहली पुस्तक का विमोचन होगा। पुस्तक को लिखने वाले डॉ रामचेत चौधरी ने काला नमक धान को बचाने और इसकी पैदावार बढ़ाने के लिय बहुत काम किया है, इसलिए उनकी इस पुस्तक को लेकर लोगों के बीच चर्चा हो रही है। इस पुस्तक में नौ अध्याय हैं। इसमें महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक धान की 3000 साल पुरानी गाथा से इस समय तक के सफर को रेखाकिंत किया गया है।
पुस्तक में ये रहेगा खास
यह पुस्तक भगवान महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद कालानमक धान को सिद्धार्थनगर के किसानों द्वारा कालजयी बनाने की गाथा बताएगी। अंग्रेजों द्वारा इसके व्यापारिकरण और इंग्लैंड तक साल-दर-साल पहुंचाने की कोशिशों को भी बताएगी। इसमें आजादी के बाद कालानमक धान की बर्बादी की कहानी भी रहेगी। किन वजहों या लापरवाहियों से धान की ये प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई, इसका भी जिक्र है। कभी 50 हजार हेक्टेयर में उगने वाली यह प्रजाति साल 2005 में 2000 हेक्टेयर पर कैसे पहुंच गया, इसका भी जिक्र है। डॉ रामचेत चौधरी की इस पुस्तक में पीआरडीएफ संस्थान के जरिए किसानों के पास बचे हुए 250 प्रकार के जर्म प्लाज्म को इकट्ठा कर नवीन प्रजाति केएन 3, बौना कालानमक 101, बौना कालानमक 102 और कालानमक किरण विकसित करने की पूरी कहानी रहेगी। इस किताब में कालानमक धान को कानूनी दांवपेच आजमा कर खुद का उत्पाद बताने वाले किसी देश अथवा संस्था की गलत नियत से बचाने की सावधानियां भी बताई जाएगी।
पुस्तक में इन प्रजातियों का रहेगा विवरण
यह पुस्तक में कालानमक धान की कई प्रजातियों के गुण के बारे में विस्तार से बताया गया है। इतना ही नहीं, यह पुस्तक कालानमक धान में ज्यादा आयरन, ज्यादा प्रोटीन, ज्यादा जिंक और विटामिन ए के साथ शुगर फ्री होने की तथ्यात्मक जानकारी देती है तो कालानमक धान को सर्वोत्तम चावल भी स्थापित करने वाली है। पुस्तक में देश में चल रहे कालानमक धान पर अनुसंधान का विवरण भी है। इसके विकास के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी मदद का जिक्र भी है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने लिखी है प्रस्तावना
पुस्तक की प्रस्तावना विश्वविख्यात धान प्रजनक एवं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ गुरुदेव सिंह खुश ने लिखी है। शुभकामनाएं राज्यपाल उत्तर प्रदेश, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, राज्यसभा एवं विधानसभा के सदस्य एवं राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधिकारियों ने दी है।