पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने कर्ज देने के लिए कड़ी शर्ते रखी हैं। वहीं शरीफ ने कहा -IMF ने जो शर्तें रखीं हैं वो हमारी सोच से भी ज्यादा सख्त और खतरनाक हैं। लेकिन क्या करें? मजबूरी है कि हमें IMF की शर्तें माननी होंगी। उन्होंने कहा कि इस वक्त देश के वित्त मंत्री इशाक डार और उनकी टीम जिस मुश्किल से गुजर रहे हैं, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
शरीफ ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मैं डीटेल्स तो नहीं बता सकता, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि हमारी इकोनॉमी के जो हालात हैं, वे आपके सोच से परे हैं। IMFने कर्ज के लिए बेहद बेरहम शर्ते रखी हैं, लेकिन हमारे पास इन्हें मानने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। IMF की एक टीम इस हफ्ते मंगलवार को पाकिस्तान पहुंची जो पाकिस्तान को सात अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम में शामिल करने के लिए नौंवी समीक्षा बैठक कर रही है। टीम नौ फरवरी तक पाकिस्तान के वित्त मंत्री और उनकी टीम से प्रोग्राम की शर्तों को लागू करवाने पर बात करेगी।
IMF की कुछ शर्तें को लागू करने के बाद पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ी है और रुपया ऐतिहासिक रुप से लुढ़का है। पाकिस्तान में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को 16 फीसदी बढ़ा दिया गया है और खाना पकाने वाले गैस की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। IMF की शर्तों को लेकर शहबाज शरीफ बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि देश के पास IMF बेलआउट पैकेज को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, इसलिए वह इस प्रोग्राम को मंजूरी देने की प्रक्रिया अपना रहे हैं।
चलिए जानते हैं बयान के मायने
IMF ने बेहद सख्त शर्तें रखी है। इतना ही नहीं, उसने इन तमाम शर्तों को पूरा करने के लिए पॉलिटिकल गारंटी भी मांगी है। IMF चाहता है कि पाकिस्तान सरकार इलेक्ट्रिसिटी और फ्यूल 60% महंगा करे। टैक्स कलेक्शन दोगुना करने को कहा गया है। लिहाजा, यह तय माना जा रहा है कि 9 फरवरी को जब IMF और शाहबाज सरकार की बातचीत खत्म होगी और अगर सरकार यह शर्ते मान लेती है तो महंगाई अभी से करीब-करीब दोगुनी यानी 54% से 55% तक हो जाएगी। यानी की कह सकते हैं कि महंगाई दोगुनी हुई तो जनता सड़कों पर उतर आएगी और शाहबाज शरीफ की कुर्सी जाना तय हो जाएगा। दूसरी तरफ, इमरान खान इसी मौके का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, मुल्क को इस बदहाली तक लाने में इमरान का ही सबसे बड़ा हाथ है। उनके करीब 4 साल के कार्यकाल में पाकिस्तान का विदेशी कर्ज दोगुना हो गया था।