दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जासूसी मामले में सिसोदिया के खिलाफ जांच को मंजूदी दी है। वहीं CBI ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के सियासी हस्तियों अलावा कुछ प्रभावी लोगों की जासूसी कराई थी। यह मामला सामने आने के बाद दिल्ली बीजेपी पार्टी सहित अन्य सियासी दलों ने मामले की जांच की मांग की थी। इसी मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फैसला लेकर सिसोदिया के मुसीबत बढ़ा दी है।
फीड बैक यूनिट की आड़ में जासूसी खेल
बता दें कि दिल्ली जासूसी कांड मामले को लेकर 8 फरवरी को CBI ने बड़ा खुलासा किया था। CBI ने दावा करते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार ने एक फीड बैक यूनिट गठित की थी। जिसका मकसद विरोधी दलों के नेताओं की जासूसी कराना था। इस मामले में CBI ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया व अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए मंजूरी मांगी थी। इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल, एमएचए और वित्त मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया। जिसके बाद एलजी विनय सक्सेना ने इस मामले को केंद्र के पास भेज दिया। अब उसी मामले को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी है।
आप सरकार ने 2015 में फीडबैक यूनिट बनाई
सीबीआई का कहना है कि सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने 2015 में फीडबैक यूनिट बनाई। उन्होंने अपने सतर्कता विभाग को मजबूत करने के मकसद से ऐसा किया था। लेकिन आरोप है कि इसका इस्तेमाल दिल्ली सरकार ने विरोधी नेताओं की जासूसी करने के लिए किया। बता दें कि 2016 में सतर्कता विभाग के एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि इसकी आड़ में जासूसी चल रही है। 2015 में ही इस यूनिट के खिलाफ आवाज उठने लगी थी। बाद में मामला CBI को सौंप दिया गया। इस वजह से CBI ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ FIR दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।