त्योहारों का सिलसिला लगातार जारी है। जहां एक तरफ लोग त्योहारों के जश्न की तैयारियों में डूबे हैं तो वहीं शासन ने चौकीदारों को दीपावली व धनतेरस पर्वों को लेकर गांव में कड़ी निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन बड़ी बात ये है कि पूरे गांव की सुरक्षा एक डंडे के भरोसे है। चौकीदार एक डंडे के भरोसे पूरे गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी कैसे निभाएगा।
जिम्मेदारी बड़ी, सुविधाएं कुछ नहीं
अंग्रेजों के जमाने से गांव की सुरक्षा के लिए चौकीदार की नियुक्ति की जा रही है। आपको बता दें कि इन चौकीदारों को अधिकार कुछ भी नहीं दिए गए है जबकि जिम्मेदारियां बहुत बड़ी है। गांव में शांति व्यवस्था कैसे कायम रहे और कोई अपराधी तत्व तो सक्रिय नहीं हो रहा है। इन सब की निगरानी का ध्यान भी चौकीदार को ही रखना पड़ता है। इसके अलावा किसी घटना, दुर्घटना की तुरंत सूचना देना भी चौकीदार का ही काम है। एक चौकीदार की पहचान की बात करें तो उनकी पहचान लाल पगड़ी और सुरक्षा के नाम पर एक डंडे तक ही सीमित है।
2500 रुपये में पूरा गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी
वहीं सरकार चौकीदारों को न के बराबर वेतन देती है। पहले एक चौकीदार को 1500 रुपये मासिक मिलता था। वहीं अब यह रकम बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी गई है। इसके अलावा सिर पर बांधने के लिए लाल साफा, टार्च, सर्दी की जैकेट व साइकिल भी सरकार की तरफ से दी जाती है।
वहीं चौकीदारों का कहना है कि उन्होंने सरकार से कई बार अन्य सुविधाएं देने को लेकर मांग की है। लेकिन आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। एक चौकीदार को जहां किसी भी घटना की जानकारी तुरंत देनी होती है। वहीं अगर सामान्य हालात की बात करें तो तब भी उसे संबंधित गांव की जानकारी प्रति सप्ताह थाने में देनी होती है। चौकीदार की उपस्थित के लिए कोई रजिस्टर नहीं बनाया जाता है बल्कि एक तख्ती पर ही उपस्थिति दर्ज की जाती है।
सभी अपराधिक घटनाओं का जिम्मेदार चौकीदार
आपको बता दें कि ब्लॉक पिहानी क्षेत्र में 77 ग्राम सभाएं हैं। कुछ ग्राम पंचायत ब्लॉक हरियावा की भी पिहानी कोतवाली में है। इस समय थाना क्षेत्र में लगभग 150 चौकीदार कार्यरत हैं। जबकि कोतवाली पिहानी क्षेत्र में लगभग 220 मजरे व ग्राम पंचायतें हैं। जिन गांवों में धड़ेबंदी के कारण तनाव की स्थिति बन जाती है अथवा अपराधिक घटनाएं सिर उठाती हैं। इन सब के पीछे भी चौकीदार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही को माना जाता है। जबकि हकीकत यह है कि बदमाशों के पास हथियार होते हैं। वहीं चौकीदारों को सिर्फ डंडे के भरोसे ही बदमाशों का सामना करने जैसी चुनौती का सामना करना पड़ता है। वहीं चौकीदारों को कोई संचार सुविधा भी नहीं दी गई है।
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