राम की नगरी अयोध्या, ये शब्द सुनने में सुकून मिलता है, लेकिन इस पर जब विवाद छिड़ जाता है तो चर्चा का विषय बन जाता है। जिसके लिए हिंदुओं ने करीब 500 साल संघर्ष किया तो एक फैसला नवंबर 2019 में आया। इस फैसले ने उन्हें अयोध्या में अपने अराध्य के पूजन और उनका मंदिर बनाने का अधिकार दिया । साथ ही 5 एकड़ जमीन बतौर मुआवजा मस्जिद के लिए देकर एक तरह हिंदुओं से जुर्माना भी वसूल लिया। अक्सर अयोध्या को लेकर कोई न कोई बात सामने आती ही रहती है।
बता दें कि धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद के लिए बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग भी गुप्त दान कर रहें है। मस्जिद ट्रस्ट का दावा है कि मस्जिद निर्माण के लिए पहले जो 11 लोगों ने चंदा दिया वो सभी हिंदू भाईयों ने दिए है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के ट्रस्टी अरशद अफजाल खान का दावा है कि मस्जिद निर्माण के लिए बड़ी संख्या में हिंदू भाई गुप्त दान कर रहें है। उनका नाम और धनराशी गुप्त रखी गई है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट राम मंदिर की तर्ज पर कोई अभियान नहीं चला रहा है। बल्कि लोग स्वंय समर्पण कर रहे है। कोई मस्जिद निर्माण तके लिए तो कोई अस्पताल निर्माण के नाम पर चंदा दे रहा है। बताते चलें कि मंदिर मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन दी है। नक्शा पास करने की प्रक्रिया विकास प्राधीकरण में अभी लंबित है।
वहीं मीडिया रिपोर्टस के अनुसार बताया गया है कि ट्रस्टी अरशद अफजाल ने बताया कि मस्जिद निर्माण शुरु करने में अभी कुछ और समय लगेगा। जो जमीन दी गई है उसका लैंड यूज बदलने के लिए आवेदन किया गया है। विकास प्राधीकरण बोर्ड की बैठक में प्राधीकरण द्वारा प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई बढ़ेगी।
हिंदू- मुस्लिम की एकता की बनेगी पहचान
अफजल ने बताया कि मस्जिद ट्रस्ट को जो समर्थन मिल रहा है वो सभी संप्रदाय के लोगों से मिल रहा है। सबसं खुशी की बात दे कि हिंदू समाज के लोग हमारे ट्रस्ट को स्पोर्ट कर रहे हैं। इसमें सबसे पहले 11 हिंदू 11 हिंदू भाइयों ने चंदा दिया है. हालांकि, उनका यह गुप्त दान है. न हम उनका नाम बता सकते हैं, न दान बता सकते हैं. लेकिन अभी भी हिंदू समाज के लोग हमारे ट्रस्ट को सपोर्ट कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि हमारा यह प्रोजेक्ट हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनेगी