सांसद मेनका गांधी स्व:सुशील मिश्रा के निवास पर परिजनों के आसूं पोछने के लिए पहुंची। वहीं बता दें कि पिता सुशील मिश्रा की मौत के बाद घर का एकलौते चिराग अयांश 50 साल की बूढ़ी दादी और मां का सहारा था। लेकिन अब अयांश की मौत के साथ ही वो सहारा टूट गया है। बुधवार को अयांश की मौत की खबर जब परिजनों को लगी तो उनके आंखे से आंसू का सेैलाब बहने लगा।
बताते चलें कि अपने दौरे के पहले दिन ही, अयांश की मौत पर सांसद मेनका गांधी ने परिजनों से मिलकर शोक संवेदना प्रकट की। इस दौरान उन्होंने परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया। सांसद मेनका गांधी ने कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि मैं आपके दुःख-सुख में शामिल रहूं। मैं एक अच्छी सांसद से बढ़कर आपकी मां के रूप में सेवा करने आती हूं। फिर यहां पर मेनका गांधी ने एसडीएम से फोन पर वार्ता कर तत्काल हर संभव मदद देने के लिए आदेश दिया।
दरअसल, मंगलवार को अयांश गुप्तारगंज बाजार से साइकिल से घर वापस जा रहा था। इसी बीच सुलतानपुर से यात्रियों को लेकर अयोध्या की तरफ जा रही अुनबंधित रोडवेज बस सामने से आ रहे बाइक सवार को बचाने के चक्कर में अनियंत्रित हो गई। जिसकी चपेट में आकर साइकिल सवार अयांश मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गया। वैसे ही उसे जिला चिकित्यालय से गंभीर हालत में ट्रामा सेंटर रेफर किया गया था। जहां बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
आपको बता दें कि अयांश के पिता सुशील मिश्रा की साल 2014 में फूड प्वाइजनिंग से नागपुर में मौत हो गई थी। अभी परिवार इस सदमें से पूरी तरह उबर भी नहीं सका था कि स्व:सुशील मिश्रा के छोटे बेटे पीयूष की कुछ साल पहले दिमागी बुखार से मौत हो गई। परिवार में ले देकर सुशील मिश्र का बड़ा बेटा अयांश मिश्रा ही बचा था। जो 85 साल की बूढ़ी दादी व मां सुनीता देवी के साथ रहता था। कम उम्र में अयांश पूजा-पाठ करके परिवार का पालन पोषण करता था।