आजकल सेम सेक्स में शादी का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने वाली याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। बता दें कि यह मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन क्या आपको पता है कि सेम सेक्स में शादी को कानून मान्यता दिलाने की पहले गे कपल पार्छ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद ने शुरू की थी। मेहरोत्रा और आनंद की मुलाकात 17 साल पहले हुई। इसके बाद दोनों में दोस्ती हुई फिर वहीं दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। इस कपल ने 2019 में पेरेंट्स बनने का पैसला लिया। हालांकि, कानून उन्हें बच्चों को गोद लेने का अधिकार नहीं देता है, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सरगोसी के जरिए ही दो बच्चों के पिता बन सके
बता दें की मेहरोत्रा का कहना है कि 2020 में जब दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी, वे सरगोसी के जरिए ही दो बच्चों के पिता बन सके है। मेहरोत्रा ने कहा कि, हम अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, उन्हें बिस्तर पर सुलाते हैं, उन्हें गुड नाइट बोलकर प्यार भी करते हैं। यहां तक की अगर उन्हें आधी रात में बच्चों को भूख लगी या फिर डायपर बदलने जैसी चीजों का भी ख्याल रखतें हैं। लेकिन फिर भी हम तरह के ‘भूत’ हैं। क्योंकि मेरे होने के बाद भी बच्चों के जीवन में मेरी कमी है, क्योंकि उनके बर्थ सर्टिफिकेट पर मेरा नाम नहीं है। कानूनी तौर पर हमारा कोई संबंध नहीं है। मेहरोत्रा और आनंद उन चार याचिकाकर्ता कल्पस में से एक हैं, जिन्होंने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वे कहते हैं, अगर 17 साल का प्यार शादी करने के लिए काफी नहीं है , तो कम से कम माता- पिता होना तो इसकी पर्याप्त कारण होना चाहिए।
कई उतार चढ़ाव देखने को मिले है
मेहोत्रा पब्लिकेशन इंडस्ट्री में काम करते हैं। वो स्कूल में एक बिजनेसमैन आनंद से मिले और दोनों गहरे दोस्त बन गए है। आनंद अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बाहर भी रहे। वहीं मेहरोत्रा यहीं रहे। पिछले एक दशक में उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसमें अलग-अलग देशों के कॉलेजों में पढ़ना और लंबे वक्त तक लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहना शामिल है।
भारत में वापस आना चाहते थे क्योंकि यह हमारा देश है
वहीं मेहरोत्रा ने बताया कि उन दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। साल 2015 में दोनों लोग दिल्ली में साथ में रहने लगे। मेहरोत्रा का कहना है कि, हम अपने देश भारत में वापस आना चाहते थे क्योंकि यह हमारा देश है और हमारे परिवार यहां है। अगर आप हमारे नामों में से एक को एक महिला के साथ बदलते हैं, तो यह बचपन की दोस्ती की एक सामान्य कहानी है जो बाद में प्यार में बदल गई। यह बिल्कुल भी खास नहीं है। यह वहीं है जो हर किसी के पास है और हम यही चाहते हैं। हम शादी करने का अधिकार चाहते है।
दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया
उन्होंने आगे कहा कि शादी को कानूनी मान्यता मिलने पर कई तरह की रोजमर्रा की परेशानियां दूर हो जाएंगी। जैसे हम बीमा फॉर्म में नॉमिनी चुन पाएंगे, बच्चों के साथ विदेश यात्रा कर सकेंगे और विरासत के अधिकार का भी फायदा उठा पाएंगे। मेहरोत्रा कहते हैं कि कई महीनों की बहस और चर्चा के बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि आनंद बहादुर है, वो हमेशा इस मामले में अलर्ट रहता है और दोनों कोर्ट जाने के फैसले पर एकमत थे। दोनों जानते हैं कि कानून लड़ाई एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। वो कहते हैं कि इस बात को मैं विरोध के नजरिए से नहीं देखता हूं। मैं एक सामान्य नागरिक की तरह अपनी बात रख रहा हूं। हमसे पहले के लोगों को इससे भी ज्याद परेशानी और कठिन वक्त से गुजरना पड़ा होगा।