Sultanpur: कस्तूरबा विद्यालयों में बेहतर शिक्षा और प्रगति के लिए माता-पिता अपनी आंख मूंद कर अपनी बच्चियों को भेज रहे है. उनके खाने से लेकर हर तरह की व्यवस्था के लिए सरकार लाखों का बजट भी दे रही है. लेकिन कस्तूरबा स्कूलों की वार्डेन सरकार को बदनाम करने में लगी हैं. ताजा मामला सुल्तानपुर के कादीपुर इकाले के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का है. जहां पढ़ने वाली छात्राओं को खाने में रोटियां नहीं मिल रही हैं.
बीएसए की लापरवाही का खामियाजा कस्तूरबा गांधी में पढ़ने वाली छात्राएं भुगत रही हैं. कस्तूरबा गांधी में पढ़ने वाली छात्राओं ने 30 अगस्त को वार्डन से खराब खाना, नाश्ता नहीं मिलने, छात्राओं से काम कराने और रात भर रहने की व्यवस्था नहीं करने की शिकायत की थी. जिसके करीब छह माह बाद बीएसए ने बालिका विद्यालय में काम कर रही वार्डन को ट्रामिनेट किया. अगस्त में छात्राओं की शिकायत मिलने के बाद जांच टीम मौके पर पहुंची.
अगस्त में ओपी तिवारी, आनंद शुक्ला व नीलिमा गुप्ता जांच करने मौके पर पहुंचे. टीम ने वार्डन स्कूल में छात्राओं को रात्रि आवास उपलब्ध नहीं कराने, घटिया भोजन देने, मेन्यू लागू नहीं करने आदि में खामी पाई थी. जिसके बाद कस्तूरबा गांधी की वार्डन सुनीता भारती को नोटिस दिया गया था. शिकायत के जवाब में अक्टूबर में कोई सबूत देने के बजाय भविष्य में ऐसी गलतियों या कमियों को नहीं दोहराने का अनुरोध किया गया था.
KGBV की छात्राओं ने वार्डन पर लगाए ये आरोप
जांच रिपोर्ट और वार्डन के जवाब के बाद भी करीब चार माह तक पत्र कार्यालय में लंबित रहा. माना जाता है कि इस सबके पीछे सेटिंग-गेटिंग का दौर चलता रहा था. बात नहीं बनी तो उसे बर्खास्त कर दिया गया. वहीं बता दें कि बीएसए दीपिका चतुर्वेदी ने जब कार्रवाई में देरी और शैक्षणिक गुणवत्ता की बात करने की कोशिश की तो उन्होंने सीयूजी फोन रिसीव नहीं किया. इससे केवल कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं को ही परेशानियों का सामना करना पड़ा.
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