सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष जस्टिस केएम जोसेफ ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर फैसला सुनाया इस दौरान उन्होंने आदेश दियाकि PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। जबकि अब तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करती थी। जस्टिस केएम जोसेफ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘अच्छे लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया की स्पष्टता बनाए रखना बेहद जरूरी है। नहीं तो इसके अच्छे रिजल्ट नहीं होंगे।
वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त की सीधी नियुक्ति गलत है। हमें अपने दिमाग में एक ठोस व उदार लोकतंत्र का हॉलमार्क लेकर चलना होगा। वोट की ताकत सुप्रीम है। इससे मजबूत पार्टीभी सत्ता गंवा सकती है। इसलिए चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना बेहद जरूरी है।’ सुनने में तो यह फैसला काफी सख्त और बड़ा बदलाव लाने वाला लगता है। परंतु जमीनी सच इससे काफी अलग है।
सुनवाई के दौरान सचिव अरुण गोयल की नियुक्ति पर क्या बोला कोर्ट
दरअसल, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव तक बेअसर रहेगा। फैसला लागू होने के बाद घुमा-फिराकर केंद्र के पसंदीदा अफसर ही चुनाव आयुक्त बनेंगे। चुनाव आयुक्तों के कामकाज और नियुक्ति में पारदर्शिता का यह मामला 2018 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। कई याचिकाएं दायर हुई। पांच जजों की पीठ ने 17 नवंबर 2022 से सुनवाई शुरू की।
अगली सुनवाई से पहले ही 18 नवंबर को भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव अरुण गोयल को VRS मिल गया। फिर अगले ही दिन PM की सिफारिश पर अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया।
राजीव कुमार और अरुण गोयल की अगुआई में होंगे 2024 के चुनाव
23 नवंबर को हुई अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के बीच चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए थी। खासकर जब ये पद 15 मई 2022 से खाली है। पीठ ने नियुक्ति से जुड़े दस्तावेजों की जांच और अटॉर्नी जनरल से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया बताने को कहा। कई सुनवाई के बाद 2 मार्च 2023 को संविधान पीठ का फैसला आया। लेकिन उसमें अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर कोई आदेश नहीं था।
2024 के आम चुनाव मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की अगुआई में होंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के समय ही लागू होगा।
कब तक लागू रहेगा सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
कानून मंत्रालय चुनाव आयुक्तों के नाम सुझाएगा। फिर उन्हीं नामों में से किसी एक को प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और CJI का पैनल फाइनल करेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई नया कानून नहीं बना लेती।