लखनऊ नगर निगम में इस समय काफी खींचतान मची हुई है। मेयर सुषमा खर्कवाल के सक्रिय होने के चलते नगर निगम के अधिकारियों की सांस अटकी हुई है। मेयर सुषमा खर्कवाल ने जिस दिन से शपथ ग्रहण की तभी से राजधानी में नगर निगम के कामों पर निगाह बनाये हुए है। महापौर पिछले 15 दिनों से लगातार स्थलीय निरीक्षण कर रही है। कभी नालों की सफाई देखने निकल जाती हैं तो कभी अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लेने लगती है।
मेयर ने विकास कार्यों के टेंडरों का मांगा हिसाब
अब मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर विकास कार्यों के टेंडरों का हिसाब मांगा है। आपको को बता दे निकाय चुनाव में देरी के चलते लखनऊ नगर निगम में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए थे, जिसमें जिलाधिकारी लखनऊ के साथ-साथ नगर आयुक्त व एक एडीएम स्तर के अधिकारी को नगर निगम को संचालित करने की जिम्मेदारी गयी थी। नगर निकाय चुनाव होने के बाद सुषमा खर्कवाल बतौर लखनऊ नगर निगम मेयर निर्वाचित हुई थी।
शपथ ग्रहण के बाद से ही मेयर नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार पर पैनी नजर रखे हुए थी। मेयर को शिकायतें मिल रही थी कि लखनऊ नगर निगम में जिस समय प्रशासक नियुक्त थे उस समय बड़ी संख्या में विकास कार्यों के लिए टेंडर निकाले गए थे जिसका हिसाब अब मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर मांगा है। इस पत्र के माध्यम से मेयर ने नगर आयुक्त से वृंदावन योजना में कर निर्धारण में गड़बड़ी करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रिपोर्ट भी मांगी।
कार्रवाई न होने का पूछा कारण
साथ ही नालों की सफाई की स्थिति की रिपोर्ट भी मेयर ने तलब की है, हालांकि मेयर ने नगर आयुक्त को पहला पत्र 13 जून को पत्र लिखा था पर पहले पत्र का जवाब न मिलने पर मेयर ने दोबारा फिर 22 जून को पत्र लिखा। जिसमें तीन कार्य दिवस में 14 अप्रैल 2023 से 6 मई 2023 के बीच जारी टेंडरों का विवरण मांगा है। इससे पहले लखनऊ मंडलायुक्त रोशन जैकब ने भी नगर आयुक्त को पत्र लिख कर नगर निगम को सफाई वाहनों के लिए दिए गए 30 करोड़ रुपये का हिसाब मांगा व इकोग्रीन पर कार्रवाई न होने का कारण पूछा था। उसपर भी नगर निगम की तरफ से समय से जवाब नहीं दिया गया था जिसपर मंडलायुक्त ने नाराजगी जताई थी।