नई दिल्ली। मणिपुर में बीते कुछ महीनों से हो रही हिंसा को लेकर अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बड़ा खुलासा किया है। NIA के अनुसार, मणिपुर में हिंसा बढ़ाने के लिए म्यामांर और बांग्लादेश के उग्रवादी हथियारों को पहुंचा रहे हैं। मणिपुर हिंसा के मामले में NIA ने एक बड़ा खुलासा किया है। NIA की जांच रिपोर्ट से ये पता चला है कि म्यांमार और बांग्लादेश स्थित उग्रवादी समूहों ने मणिपुर में विभिन्न जाति समूहों के मध्य दरार उत्पन करने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से यह साजिश रची है।
भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश
उग्रवादी संगठनों हिंसा की घटनाओं में सम्मिलित होने के लिए भारत में उग्रवादी नेताओं के एक वर्ग के साथ प्लानिंग कर रहा है। इसके लिए म्यामांर और बांग्लादेश के आतंकी संगठनों के हैंडलर मणिपुर में हथियार, और अन्य तरह के आतंकवादी सामान की खरीद के लिए फंडिंग कर रहे है। इन्हें सीमा पार से और साथ ही भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों से सहायता भी मिल रही है। एनआईए के मुताबिक, इस साजिश के पीछे कथित तौर पर म्यांमार और बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन हैं, जो मणिपुर में जातिय अहिंसा का फायदा उठाकर भारत सरकार के विरूध युद्ध छेड़ना चाहते हैं।
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‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित
मणिपुर में सबसे पहले जातीय हिंसा 3 मई को भड़की थी। राज्य में अब तक 180 से अधिक लोग मारे गए हैं। साथ ही कई लोग घायल भी हुए हैं। हिंसा तब शुरू हुई, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है। यह आधिकतर इम्फाल घाटी में पाए जाते है। नागा और कुकी आदिवासी 40 फिसदी हैं। और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या लगभग 53 फीसदी है। वे अधिकतर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जबकि नागा और कुकी आदिवासी 40 फीसदी हैं और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं ।