भारतीय सिनेमा में भुतहा यानि हॉरर फिल्मों को शुरू से ही पसंद किया जाता रहा है। सिने जगत में प्यार, इश्क, मोहब्बत, ड्रामा, एक्शन और थ्रिलर के अलावा डर का अपना एक अलग ही रुतबा रहा है। हिंदी फिल्मों में रामसे ब्रदर्स को हॉरर फिल्मों का रचयिता माना जाता है। उन्होंने कई मशहूर हॉरर फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें, पुराना मंदिर, दहशत, दो गज जमीन के नीचे और बंद दरवाजा जैसी और भी कई भुतहा फिल्में रही हैं।
Ashok Kumar Mahal Film साल 1972 में आई फिल्म “दो गज जमीन के नीचे” एक ऐसी फिल्म थी, जिसे उस समय देखकर हर कोई डर जाया करता था। महज 5 लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने उस समय 40 लाख रुपये की कमाई की थी।
Ashok Kumar Mahal Film एक अहम बात जिसके बारे में आपको पता नहीं होगा ? हिंदी सिनेमा में भले ही रामसे ब्रदर्स को हॉरर फिल्मों का रचयिता माना जाता हो, लेकिन बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों को बनाने की शुरुआत किसी ओर ने की थी। इतना ही नहीं इस फिल्म के बनने के बाद ये हॉरर फिल्मों के लिए एक ट्रेंडसेंटर बन गई थी।
बॉलीवुड में पहली हॉरर फिल्म कमाल अमरोही ने बनाई थी, जिसका नाम था महल ये फिल्म आजाद भारत की पहली हॉरर फिल्म थी। कमाल अमरोही फिल्मी जगत में 1938 से काम कर रहे थे, लेकिन बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म थी। ये Ashok Kumar Mahal Film फिल्म साल 1949 में आई थी। उस दौर की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी महल। इतना ही नहीं इसकी सफलता के चलते एक्ट्रेस मधुबाला और गायिका लता मंगेशकर को काफी फेम मिला था।
इस फिल्म में मधुबाला और जाने-माने एक्टर अशोक कुमार लीड रोल में थे। महल ने मधुबाला को स्टारडम दिलाने के साथ-साथ उन्हें उस दौर की बड़ी एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार कर दिया था। इतना ही नहीं इस फिल्म ने लता मंगेशकर को भी खासी पहचान दिलाई थी। महल का गीत, आएगा आने वाला आएगा काफी फेमस हुआ था, जो आज भी सुना जाता है। महज 19 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने ये गाना गाया था।
इस फिल्म की कहानी कामिनी नाम की एक ऐसी महिला की थी, जो महल में बरसो से अपने प्रेमी का इंतजार कर रही होती है। इसकी कहानी पुनर्जन्म और भुतहा घटना के इर्द-गिर्द बुनी गई थी। कामिनी महल में अपने प्रेमी का इंतजार करते रह जाती है वहीं दूसरी ओर उसके प्रेमी की नाव डूब जाती है और वो मर जाता है। प्रेमी के आने की उम्मीद में कामिनी महल में ही दम तोड़ देती है।
अशोक कुमार के साथ घटी घटना पर बनी थी महल
इस फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित थी, जिसके बारे में अशोक कुमार ने खुद बताया था। कुमार ने घटना के बारे में कमाल अमरोही को बताते हुए उस पर फिल्म बनाने के लिए कहा था।
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Ashok Kumar Mahal Film अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे एक पहाड़ी इलाके में जीजीबॉय हाउस के पास शूटिंग कर रहे थे। आधी रात हो चुकी थी, तभी अशोक कुमार ने एक महिला की कार में सिरकटी लाश देखी थी। इसके बाद वो महिला वहां से गायब हो गई थी। ये सब देखकर अशोक कुमार के होश उड़ गए थे। कुमार ने ये बात अपने स्टाफ को भी बताई थी, लेकिन उनकी बातों को स्टाफ ने एक सपना समझा था। इस घटना को लेकर जब अशोक कुमार शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन गए तो वहां उन्हें बताया गया कि ऐसी घटना उसी जगह 14 साल पहले हो चुकी है।