नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष हर साल 8 मार्च को दुनियांभर में मनाया जाता है। इसके पीछे की वजह 1908 के बाद अमेरिका में हुआ मजदूर आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को सम्मान देने के लिए इस दिन को चुना गया था। जिसे फिर बाद में युनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च 1975 को महिला दिवस मनाने की शुरुआत की। महिलाओं के सम्मान में यह दिन देश में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समानता को दिखाता है।
महिला दिवस 2024 की थीम
हर साल महिला दिवस को एक थीम के साथ सेलिब्रेट करने का रिवाज है। इस साल का थीम Inspire Inclusion हैं। 2024 में इसी थीम के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इसका हिन्दी अर्थ है एक ऐसी दुनिया,जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले।
इसलिए मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समाज में एक समान अधिकार के साथ जीने का अधिकार प्रदान करना है। भारत का कानून और संविधान में लिंग के आधार पर किसी तरह के भेदभाव को बढ़ावा नहीं देता है। लेकिन जागरूकता के अभाव में महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित , मानसिक एवं शरीरिक उत्पीड़न, सामाजिक असमानता और असुरक्षित जीवन जीने पर विवस हो जाती हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं महिलाओं को संविधान द्वारा दिए गए कानूनी अधिकारों के बारे में।
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समानता का अधिकार
भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता हैं। इसमें महिलायें भी शामिल हैं। संविधान महिलाओं को भी समानता और न्याय की सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिए संविधान में धारा 14(1) में सभी नागरिकों को समानता के अधिकार प्रदान किए हैं। धारा 14(1) के मुताबिक, भारत के सभी नागरिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भों में समानता का हक रखते हैं। उन्हें अपने विचारों, धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या किसी अन्य आधार पर भेदभाव के खिलाफ यह अधिकार मिला है।
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समर्थन का अधिकार
भारत के संविधान में धारा 15(3) के तहत, सरकार विशेष प्रवर्तनों के माध्यम से विभिन्न वर्गों की महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान कर सकती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में बराबरी का हक देना हैं।
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समान वेतन का अधिकार
अक्सर देखा जाता जाता है कि एक ही काम के लिए महिलाओं और पुरुषों के वेतन में अंतर होता हैं। भारत का संविधान महिलाओं को समान पारिश्रमिक का अधिकार देता है। इस अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है अगर ऐसा होता है तो वो जुर्म हैं।
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पहचान गोपनीयता का अधिकार
महिलाओं के प्रति अपराध को लेकर संविधान महिलाओं को कुछ विशेषाधिकार देता है। इसमें यौन शोषण मामले में पीड़िता को अपना नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार शामिल है। अगर पुलिस, मीडिया और अधिकारी महिला की पहचान को उजागर करता है तो उस पर मुकदमा दायर की जा सकती हैं।
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मातृत्व लाभ अधिकार
संविधान नौकरी पेशा महिलाओं को कानून रूप से मातृत्व संबंधी लाभ व अन्य सुविधाओं का अधिकार देता है। इस अधिनियम के तहत, प्रसव के बाद महिला अपने संस्थान से 6 महीने की छुट्टी ले सकती लेकिन इस दौरान उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी। वह फिर से काम पर भी लौट सकती हैं।