New Delhi: केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मंजूरे मिलने के बाद पास कर दिया है. पूरे देश में इस कानून को लागू कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को शाम छह बजे CAA के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की गई. इस कानून के लागू होने से किसके नागरिकता नहीं दी जाएगी और किसे दी जाएगी.
विपक्षी दलों ने जताया विरोध
इस कानून को बीजेपी सरकार ने उस समय लागू किया जब आगामी लोकसभा चुनाव बहुत करीब है. इस कानून के पास होने से देश में एक अजब सी हलचल देखने को मिल रही है. मुस्लिम सुमदय के लोग CAA को लेकर विरोध जता रहे है. कई सारे विपक्षों नेता CAA का विरोध कर रहे है जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरवींद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे कई सारे बड़े नेता शामिल है.
क्या है CAA के मायने?
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले जिन तीन पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हुए छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय जिसमें हिंदु, बौद्ध, सिख, पारसी, जैन और ईसाई लोग शामिल है, उन्हें भारत की नागरिकता दिया जाएगी.
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मुस्लिमों को क्यों नहीं किया गया शामिल?
नगरिकता संशोधन कानून के विरोध होने की सबसे बड़ी वजह यही है. विरोध करने वाले इस कानून को मुस्लिमों के खिलाफ बता रहे है. उनका कहना है कि जब नागरिकता देना है तो मुस्लिम लोगों को क्यों नहीं शामिल किया और धर्म के नाम पर नागरिकता क्यों मिल रहे है?
इस पर सरकार का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर सताया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है. उनका धर्म बदलकर उनके साथ बलात्कार किया जाता है. इसी वजह से गैर-मुस्लिम लोग वहां से भागकर भारत आए हैं. इसलिए गैर-मुस्लिम लोगों को इसमें शामिल कर दिया गया है.