Navratri, Katyayani Devi : नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी को पूजा जाता है। 14 अप्रैल चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन है। कात्यायनी देवी साहस और निर्भीकता की देवता है। पौराणिक कहानियों में कहा गया है कि कात्यायनी देवी का नाम कात्यायन ऋषि की पुत्री कात्यायनी था। कात्यायनी देवी को दुर्गा माता का छठवां अवतार कहा जाता है।
मान्यता है कि नवरात्रि पर विधिपूर्वक माता कात्यायनी की पूजा करना भक्त को साहस और आंतरिक शक्ति देता है। आइए, नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी देवी पूजन, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त के बारे में जानें।
कात्यायनी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और समय
नवरात्रि का छठा दिन कात्यायनी की पूजा होती है। 14 अप्रैल नवरात्रि का छठा दिन है। 13 अप्रैल को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है, जो दोपहर 12 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 14 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर समापन होगा। सुबह 9 बजे तक आप कात्यायनी को पूज सकते हैं। यह पूजन के लिए उत्तम समय है।
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कात्यायनी देवी की पूजा की प्रक्रिया
सुबह कात्यायनी पूजन करने के लिए जल्दी उठकर स्नान करें। अब कात्यायनी की चौकी लगाओ। कात्यायनी देवी को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए नवरात्रि के छठे दिन पीले रंग के कपड़े और फूलों को माता की चौकी पर रखें। कात्यायनी देवी को भोग, हल्दी का तिलक और पीले पुष्प चढ़ाएं। कात्यायनी देवी के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
इन चीजों का भोग माता कात्यायनी को दें
पीला और लाल रंग की वस्तुएं माता कात्यायनी को चढ़ाना शुभ है। मां कात्यायनी को पूजा में पीले और लाल गुलाब चढ़ाएं। अगर आप चाहें तो आप कात्यायनी को गेंदे के फूल भी चढ़ा सकते हैं। कात्यायनी देवी को शहद और मूंग दाल से बना हलवा भोग लगाया जाता है।