Agra News: आगरा को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, क्योंकि इसके चारों ओर भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर हैं। इनमें राजेश्वर, मनकामेश्वर, बलकेश्वर और पृथ्वीनाथ मंदिर विशेष मान्यता रखते हैं। आगरा का राजेश्वर मंदिर एक रहस्यमयी मंदिर है जिसमें एक चमत्कारी शिवलिंग स्थापित है।
यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है: सुबह मंगला आरती के समय सफेद, दोपहर को हल्का नीला और शाम की आरती के समय गुलाबी हो जाता है। यह मंदिर लगभग 900 साल पुराना है।
मंदिर के उप सचिव पप्पू ठाकुर ने क्या कहा?
मंदिर कमेटी के उप सचिव पप्पू ठाकुर के अनुसार, सदियों से एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि लगभग 50 किलोमीटर दूर राजस्थान के राजाखेड़ा से एक सेठ नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे। रात्रि विश्राम के लिए वह जिस स्थान पर ठहरे थे, वहीं शिवलिंग स्थापित हो गया। सेठ को स्वप्न में शिवलिंग ने यही स्थापित होने की इच्छा जताई और बैलगाड़ी से शिवलिंग वहीं अपने आप झटक कर स्थापित हो गया। तब से इस मंदिर का नाम राजेश्वर (Agra) पड़ा। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अचलेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
पप्पू ठाकुर बताते हैं कि उस समय राजेश्वर मंदिर के पास से यमुना नदी बहती थी और लोग यमुना का पानी लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते थे। अंग्रेजी शासन के समय शिवभक्तों के लिए परिक्रमा की व्यवस्था की जाती थी। बल्लियां लगाकर उस पर लालटेन लगाई जाती थीं और सोमवार की आरती के लिए आस-पास के गांव वालों को इकट्ठा किया जाता था।
सावन के पहले सोमवार को लगता है मेला
22 जुलाई से महादेव के प्रिय माह सावन की शुरुआत हो गई है। सावन के पहले सोमवार से आगरा के शिवालयों में मेलों का आयोजन शुरू होता है। इसके बाद अलग-अलग सोमवार को आगरा के चारों महादेव मंदिरों पर मेलों का आयोजन होता है। सावन के पहले सोमवार, यानी 22 जुलाई को राजेश्वर मंदिर का मेला लगता है जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।
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इस दौरान मंदिर में पैर रखने तक की जगह नहीं होती। विदेशों से भी भक्त पूजा करने आते हैं। मंदिर के महंत रूपेश उपाध्याय के अनुसार, सात सोमवार मन से भगवान शिव की उपासना और राजेश्वर मंदिर में अभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है।