Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही राज्य में अक्टूबर में चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बीच कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हरियाणा मांगे हिसाब नाम से अभियान शुरू किया है। इस अभियान की अगुआई पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं। इसे लेकर वे पूरे हरियाणा में जनसभाएं कर रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस पिछले 10 सालों से सत्ता से बाहर है।
लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में 5 सीटों पर बीजेपी की हार ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है। नतीजों से खुश कांग्रेस अब दोगुनी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव में जुट गई है। कांग्रेस के स्थानीय नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चेहरे से खुश नहीं हैं। ऐसे में अब वे अपने बेटे दीपेंद्र को आगे कर सियासी बिसात बिछा रहे हैं। बता दें कि हरियाणा कांग्रेस में कांग्रेस दो खेमों में बंटी हुई है। एक गुट का नेतृत्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं जबकि दूसरे का नेतृत्व कुमारी शैलजा कर रही हैं।
गुटबाजी बन सकती है परेशानी
दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से 5 बार कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। ऐसे में वे प्रदेश में युवा चेहरे के तौर पर जनता की पहली पसंद बन सकते हैं। हालांकि गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस में उनकी कितनी स्वीकार्यता होगी? यह भी बड़ा मुद्दा है। अगर कांग्रेस Haryana में गुटबाजी से दूर रहती है तो उसकी जीत तय है। वहीं, अनिल विज फिलहाल भाजपा में मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में इस बार भाजपा के लिए प्रदेश का चुनाव इतना आसान नहीं है।
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जाट बनेंगे बदलाव के वाहक
Haryana में कांग्रेस की उम्मीदों को जाटों ने पंख लगा दिए हैं। जाट एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए लामबंद हो गए हैं। हरियाणा में जाटों की आबादी करीब 27 फीसदी है। वहीं, 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर उनका सीधा प्रभाव है। अगर जाट वोट भाजपा, इनेलो और जेजेपी में नहीं बंटते हैं तो कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को 46 फीसदी वोट मिले, जबकि 2019 के चुनाव में ये आंकड़ा 58 फीसदी था. 2019 के चुनाव में 28 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस इस चुनाव में 43 फीसदी पर पहुंच गई है.