RBI MPC Meeting : लोन सस्ता होने और EMI का बोझ कम होने का इंतजार कर रहे लोगों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। रिजर्व बैंक ने रिकॉर्ड 9वीं बैठक में भी रेपो रेट में कोई कमी नहीं की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया है।
बैठक के बाद RBI गवर्नर ने दिया अपडेट
RBI MPC गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि केंद्रीय बैंक के लिए महंगाई अभी भी सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। यही वजह है कि मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती के लिए और इंतजार करने के पक्ष में है। RBI की अगस्त MPC बैठक 6 अगस्त को शुरू हुई थी और आज संपन्न हुई। उसके बाद RBI गवर्नर ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि MPC के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का पक्ष लिया। MPC की अगली बैठक अक्टूबर महीने में होगी।
18 महीने पहले हुआ था आखिरी बदलाव
RBI MPC का यह फैसला उन लोगों को निराश करने वाला है जो लंबे समय से लोन सस्ते होने और EMI का बोझ कम होने की उम्मीद कर रहे थे। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आखिरी बार पिछले साल फरवरी में रेपो रेट में बदलाव किया था। यानी डेढ़ साल से नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। फरवरी 2023 में हुई MPC की बैठक में RBI ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
पूर्ण बजट पेश होने के बाद पहली बैठक
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश होने के बाद रिजर्व बैंक की यह पहली बैठक थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 23 जुलाई को पूर्ण बजट पेश किया था। चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक की शक्तिशाली मौद्रिक नीति समिति की यह तीसरी बैठक थी। 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट पर फैसला लेती है। MPC की यह लगातार 9वीं बैठक थी, जिसमें रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया गया।
ऐसे लिंक होती है आपकी EMI रेपो रेट से
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिसके आधार पर बैंकों को RBI से पैसे मिलते हैं. इसका मतलब है कि रेपो रेट बैंकों के लिए सीधे फंड कॉस्ट से जुड़ा होता है. जब रेपो रेट कम होता है तो बैंकों के लिए कॉस्ट कम हो जाती है और जब रेपो रेट बढ़ता है तो उनके लिए फंड महंगा हो जाता है. बैंकों द्वारा आम लोगों को दिए जाने वाले लोन जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, व्हीकल लोन आदि की ब्याज दरें रेपो रेट के हिसाब से तय होती हैं. रेपो रेट कम होने की वजह से ये सभी लोन सस्ते हो जाते हैं. होम लोन के मामले में फ्लोटिंग ब्याज दर होने की वजह से रेपो रेट में कमी का असर पुराने लोन पर भी पड़ता है और EMI का बोझ कम होता है. हालांकि, अभी लोगों को इसके लिए और इंतजार करना होगा.
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खुदरा महंगाई दर फिर 5 फीसदी के पार
रिजर्व बैंक देश में खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी से नीचे लाना चाहता है. मई महीने में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी से नीचे आ गई और 4.75 फीसदी के साथ एक साल में सबसे कम हो गई. हालांकि, खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों और दालों की कीमतों में तेजी के कारण जून में महंगाई दर एक बार फिर 5 फीसदी को पार कर गई और 4 महीने के उच्चतम स्तर 5.08 फीसदी पर पहुंच गई। जुलाई के खुदरा महंगाई के आंकड़े अगले हफ्ते जारी होने हैं।