Haryana 2024: अखिलेश यादव ने Haryana विधानसभा चुनाव से पीछे हटते हुए कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। उनका यह कदम इंडिया गठबंधन को मजबूती देने के साथ-साथ बीजेपी को हराने की कोशिश का हिस्सा है। हालांकि, इस निर्णय ने यूपी उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। Haryana में अखिलेश द्वारा दिखाए गए बड़े दिल के बाद, क्या कांग्रेस यूपी और महाराष्ट्र में सपा के साथ समान उदारता दिखाएगी?
अखिलेश का Haryana में बड़ा दिल, कांग्रेस के साथ तालमेल
अखिलेश यादव ने Haryana विधानसभा चुनाव से पीछे हटने का निर्णय लिया है। उन्होंने कांग्रेस को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की, यह कहते हुए कि उनकी प्राथमिकता बीजेपी को हराना है, सीटें नहीं। सपा हरियाणा में 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन कांग्रेस केवल एक सीट देने के पक्ष में थी। इसके बावजूद, अखिलेश ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को प्राथमिकता दी और कहा कि यह समय राजनीतिक लाभ की तलाश का नहीं, बल्कि त्याग का है।
सपा और कांग्रेस के बीच टकराव
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर तनाव है। कांग्रेस ने पांच सीटों पर दावा किया है, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि “50-50 तो बिस्किट आता है।” सपा की रणनीति अपनी पांच विधानसभा सीटों पर जीत बनाए रखने और एनडीए के कब्जे वाली पांच सीटों को हासिल करने की है, जिससे कांग्रेस को 1-2 सीटों पर ही मौका देने का इरादा है।
कांग्रेस की यूपी में बढ़ती महत्वाकांक्षाएं
2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में छह सीटें जीतने के बाद कांग्रेस अपने भविष्य की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस 2027 के विधानसभा चुनाव में 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का दावा है कि कांग्रेस उपचुनाव में पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन अखिलेश यादव इस बात से सहमत नहीं दिखते। यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस यूपी में भी हरियाणा जैसी उदारता दिखाएगी।
कांग्रेस की इस चाल से हरियाणा में निकली भाजपा की गैर-जाट राजनीती की हवा, जाने कैसे
सपा की नई योजनाएं
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा करीब 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। सपा ने मुस्लिम बहुल और उत्तर भारतीय मतदाताओं वाली सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें मुंबई और ठाणे जिले प्रमुख हैं। सपा के मौजूदा विधायक अबु आसिम आजमी और रईस शेख अपनी-अपनी सीटों पर फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। सपा महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाना चाहती है और इसके लिए कांग्रेस से सम्मानजनक सीटों की उम्मीद कर रही है।
क्या कांग्रेस यूपी और महाराष्ट्र में साथ देगी?
अखिलेश यादव ने हरियाणा में जिस तरह Haryana कांग्रेस को मैदान देकर त्याग दिखाया है, वह यूपी उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीटों की उम्मीद कर रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस के साथ सीटों पर समझौता नहीं होने के बावजूद, सपा ने पीछे हटकर कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस यूपी और महाराष्ट्र में सपा को उतनी ही उदारता दिखाएगी?