Gyanvapi : दुनिया में जितनी भी भाषा है उनके स्रोत देव वाणी संस्कृत में पाया जाता है. पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी भाषा को देश दुनिया के सामने जैसे पेश किया है. बता दें, कि पहले जब भी कोई भी विदेशी से भारत आता था तो हमें उसकी भाषा में या फिर अंग्रेजी में संवाद बनाना होता था लेकिन आज उल्टा हो चुका है खुद विदेशी हिंदी भाषा में संवाद करते हैं.
संबोधन में क्या बोले CM योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में बताया कि आचार्य आदि शंकर जब अपनी साधना के लिए काशी में आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाहि, प्रातः काल में जब आदि शंकर स्नान करने जा रहे थे तो भगवान विष्णु नाथ एक शुद्ध के रूप में उनके सामने आकर खड़े हो गए. ऐसे में स्वाभाविक रूप से आदि शंकर के मुंह से निकलता है कि मेरे मार्ग से हटो. तो सामने से जो चांडाल होता है वह एक प्रश्न पूछता है. क्या आप अपने आप को बहुत बड़ा ज्ञानी मानते हैं. क्या आप अपने सामने खड़े एक शुद्ध को देख रहे हैं.
आदि शंकर और भगवान विश्वनाथ के बीच हुए वार्तालाप को जोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिसे लोग आज ज्ञानवापी मस्जिद कहते हैं वास्तव में वह भगवान विश्वनाथ की ज्ञान साधना ही है.
ज्ञानवापी साक्षात भगवान विश्वनाथ है
CM योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद साक्षात भगवान विश्वनाथ ही है. भौतिक अस्थिरता राष्ट्र की एकता घंटा के लिए सबसे बड़ी बाधक है. अगर इस बढ़ा को हमने समझा होता तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं होता. भारत की संत परंपरा ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया उन्होंने समरतवाद पर ही जोर दिया. कबीर दास और रविदास संत रामानंद के शिष्य थे यह इस बात को साबित करता है कि उन्होंने भी समरतवाद पर जोर दिया.
नाथ परंपरा के बारे में बोलते हुए योगी ने कहा कि गुरु गोरखनाथ बाबा ने जात धर्म पंथ को कभी महत्व न देकर समाज के हर वर्ग को सम्मान दिया, इस बात का प्रमाण गोरखवाणी में मिलता है जहां हर शब्द इस बात का प्रमाण देते हैं. उसे समय में मलिक मोहम्मद जायसी जिन्होंने पद्मावत रचि थी मलिक मोहम्मद जायसी ने अपनी रचना में गोरक्षनाथ बाबा के बारे में भी उल्लेख किया है. कबीर नाथ जी ने कबीर ग्रंथावली में भी इस बात को लिखा है.