Madhya Pradesh : छतरपुर जिले के बरहा गांव के पास स्थित बिदेही बाबा का मंदिर एक विशेष धार्मिक स्थल है, जहाँ महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यह मंदिर एक रोचक लोककथा से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी खास बनाती है।
राजा की आत्म-त्याग की कहानी
मंदिर की कहानी लगभग चार सौ साल पहले की है, जब एक रियासत का राजा शांति और एकांत की खोज में इस जंगल में पहुंचा। राजपाठ छोड़कर वह यहाँ बस गया। राजा की पत्नी जब उसके ठिकाने के बारे में जान गई, तो उसने अपने पति से घर लौटने की जिद की। राजा ने उत्तर दिया कि “जिस शरीर के पीछे तुम आई हो, मैं उसी शरीर को याग देता हूँ।”
इसके बाद राजा ने जिंदा समाधि ले ली और भक्ति में लीन हो गए। तभी से इस मंदिर का नाम “बिदेही बाबा” पड़ा, जिसका अर्थ है “बिना देह वाला बाबा”। इस मंदिर में बिदेही बाबा के चरण पादुका के साथ-साथ भोलेनाथ भी विराजमान हैं। आज भी यहाँ आने वाले भक्तों की बाधाएं दूर होती हैं, जिससे यह स्थान भक्तों के लिए अत्यधिक पूजनीय बन गया है।
महिलाओं के लिए वर्जित नियम
हालांकि, इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। उन्हें केवल मंदिर के बाहर से दर्शन करने की इजाजत है, जबकि अंदर जाने या चरण पादुका को छूने का प्रयास करने पर उन्हें कष्ट भोगने की चेतावनी दी जाती है। विवाहित हों या अविवाहित, सभी महिलाओं के लिए मंदिर के भीतर जाना निषिद्ध है। इस अनोखे धार्मिक स्थल की विशेषताएँ और प्रतिबंध चर्चा का विषय बने हुए हैं, जो इसे छतरपुर की धार्मिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग बनाते हैं।