Kashi royal family: काशी राजपरिवार के संपत्ति विवाद में अब राजस्व परिषद का महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है, जिसके बाद यह विवाद सुलझने की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। काशी नरेश दिवंगत डॉ. विभूति नारायण सिंह के बेटे और तीन बेटियों के बीच चल रहे संपत्ति विवाद में राजस्व परिषद ने 28 दिसंबर 2023 को सुनवाई के बाद अपने आदेश जारी किए हैं। राजस्व परिषद ने तीनों बेटियों की याचिका पर निर्णय देते हुए सभी कानूनी अड़चनों को हटाने का आदेश दिया है और दो महीने के भीतर नामांतरण प्रक्रिया निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि बहन और भाई के बीच लंबे समय से चल रहा यह विवाद अब समाप्त हो सकता है।
कितना पुराना है विवाद?
यह संपत्ति विवाद काफी पुराना है और काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह के निधन (Kashi royal family) के बाद शुरू हुआ था। काशी नरेश ने अपनी संपत्ति को चार हिस्सों में बांटने का निर्णय लिया था, जो उन्होंने 16 जुलाई 1970 को एक लिखित समझौते के रूप में तैयार किया था। उनके वकील अरुण श्रीवास्तव के अनुसार, काशी नरेश ने अपनी संपत्ति का वितरण इस प्रकार किया था: रामनगर के फराशखाना और ग्रास फार्म महारानी के लिए, जबकि अपने बेटे अनंतनारायणन के लिए खजूरी कोठी जैसी संपत्तियों का आवंटन किया था। वहीं, तीन बेटियों के लिए भी संपत्तियां निर्धारित की गई थीं, जिसमें रामनगर के परेड ग्राउंड, जालूपुरा कोठी और भदोही में बैंक बिल्डिंग जैसी संपत्तियां शामिल थीं।
क्या बढ़े विवाद के कारण?
हालांकि, काशी नरेश के जीवनकाल में इस समझौते का पालन हुआ, लेकिन उनके निधन (Kashi royal family) के बाद विवाद शुरू हो गया। तीनों बेटियों ने आरोप लगाया कि उनके भाई ने 1970 के बाद जमीन के कागजात पर अपना नाम चढ़ा लिया था। इसके चलते संपत्ति पर अधिकार को लेकर बहन और भाई के बीच तनाव बढ़ गया। तीनों बेटियों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए कानून की शरण ली और तहसील में अपनी शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, पहले उन्हें न्याय नहीं मिला और नायब तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी की अदालत से भी उनका दावा खारिज कर दिया गया था।
राजस्व परिषद का फैसला
इसके बाद तीनों बेटियों ने राजस्व परिषद में (Kashi royal family) निगरानी याचिका दाखिल की, जिस पर 2023 में सुनवाई हुई। राजस्व परिषद ने तहसीलदार और एसडीएम के आदेशों को निरस्त करते हुए इस मामले के नामांतरण को जल्द निस्तारित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय बहन और भाई के बीच संपत्ति विवाद को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि यह निर्णय कैसे लागू होता है और क्या इसके बाद काशी राजपरिवार में शांति स्थापित हो पाएगी।