innovative farming techniques : कृषि में सही तकनीक और नए विचारों का उपयोग करके चमत्कार किए जा सकते हैं। ओडिशा के रतनपुर गांव के हेरोद पटेल इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया और अपनी कमाई को दोगुना कर लिया।
खेती का नया तरीका अपनाया
करीब 8-9 साल पहले, जब हेरोद अपने पिता के साथ खेती में जुड़े, तो वे पारंपरिक तरीके से चावल की खेती करते थे। लेकिन इससे ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था। हेरोद ने सोचा कि कुछ नया करना चाहिए। उन्होंने अपने खेत में एक तालाब बनाया और उसमें मछली पालन शुरू किया। साथ ही, तालाब के ऊपर शेड बनाकर बेल वाली सब्जियां जैसे करेला, लौकी और बीन्स उगाना शुरू कर दिया।
तालाब के चारों ओर लगाए पेड़
हेरोद ने तालाब के चारों ओर केले और नारियल के पेड़ लगाए। इससे न केवल जमीन का पूरा उपयोग हुआ, बल्कि उनकी आय के स्रोत भी बढ़ गए। यह तरीका न सिर्फ अनोखा था, बल्कि जमीन और संसाधनों के बेहतर उपयोग का बेहतरीन उदाहरण भी बन गया।
मछली पालन से बढ़ी कमाई
हेरोद ने मछली पालन को भी अपनी खेती का हिस्सा बना लिया। तालाब में मछली पालने से उन्हें सब्जियों के साथ अतिरिक्त कमाई होने लगी। यह तरीका उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों की सलाह से शुरू किया था। उन्होंने चार तालाब बनाए और उनमें बेल वाली सब्जियां उगाने के लिए शेड तैयार किया।
नई तकनीक और प्रयोगों से मिली पहचान
हेरोद का यह तरीका धीरे-धीरे चर्चित हो गया। उनके खेत को अब एक “कृषि प्रयोगशाला” के रूप में देखा जाता है। दूसरे किसान और कृषि वैज्ञानिक उनके खेत में आकर सीखने लगे हैं। हेरोद ने अपने खेत में जिस तरह से नए प्रयोग किए, वह आज दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
नाव से सब्जियां तोड़ने का तरीका
हेरोद ने तालाब में उगाई सब्जियां तोड़ने के लिए भी एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने प्लास्टिक के ड्रम से एक नाव बनाई। इस नाव की मदद से वह तालाब के अंदर जाकर सब्जियां तोड़ते हैं। यह तरीका न केवल समय बचाता है, बल्कि सब्जियों की ताजगी भी बरकरार रखता है।
किसानों के लिए प्रेरणा बने हेरोद
आज हेरोद पटेल की मेहनत और सोच ने उन्हें दूसरों के लिए मिसाल बना दिया है। उन्होंने न केवल अपनी कमाई बढ़ाई, बल्कि यह भी दिखाया कि कृषि में नई तकनीकों और प्रयोगों का सही उपयोग कैसे किया जा सकता है।