One Nation One Election Bill in Lok Sabha: बहुप्रतीक्षित ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल सोमवार को लोकसभा में पेश नहीं किया जाएगा। लोकसभा की संशोधित कार्यसूची में भी इस विधेयक का नाम शामिल नहीं है। यह बिल 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूर हुआ था। इसके बाद इसे लोकसभा सांसदों को अध्ययन के लिए भेजा गया। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, ऐसे में यदि सोमवार को बिल पेश नहीं होता है, तो इसे लाने के लिए सिर्फ चार दिन शेष रह जाएंगे। इस बिल के पक्ष और विपक्ष में सियासी गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
कानून का प्रस्ताव और उद्देश्य
One Nation One Election Bill में दो ड्राफ्ट कानून शामिल हैं। पहला संविधान संशोधन विधेयक है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है। दूसरा विधेयक तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर केंद्रित है। सरकार का मानना है कि इस पहल से विकास में तेजी आएगी, खर्च कम होगा और चुनावी प्रक्रिया अधिक सुचारू होगी।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस कानून का समर्थन करते हुए कहा, “यह देश के हित में है। 1967 तक देश में एक ही समय पर चुनाव होते थे। संघीय ढांचे पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि यह देश को मजबूत बनाएगा। खर्चों में कटौती होगी और विकास कार्य बाधित नहीं होंगे।”
वहीं, विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर सवाल उठा रहे हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई ने कहा, “यह भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है। हमारा देश भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं से भरा है। केंद्र सरकार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के जरिए एक पार्टी का शासन लाना चाहती है। यह संविधान के खिलाफ है और लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।”
राजनीतिक तकरार जारी
One Nation One Election Bill को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच गहरी असहमति है। जहां भाजपा इसे विकास और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानती है, वहीं विपक्ष इसे संघीय ढांचे पर हमला और लोकतांत्रिक विविधता के लिए खतरा बता रहा है।
अब देखना यह है कि संसद के शीतकालीन सत्र में यह बिल पेश होता है या नहीं। इसके भविष्य को लेकर देशभर में चर्चाओं का दौर जारी है।