Ambujesh Kumar, Sambhal। संभल में शिव मंदिर मिलने के बाद कईयों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 46 साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि मंदिर को बन्द कर देना पड़ा, तो इस सवाल का जवाब बेहद ही रक्तरंजित इतिहास को समेटे हुए है। क्योंकि 46 साल पहले एक झूठी अफवाह से फैले दंगों के बाद इस खास इलाके में हिन्दू परिवारों का को नामलेवा तक नहीं बचा।
गए थे बिजली चोरी पकड़ने, निकल आया मंदिर
शनिवार को बिजली चोरी के औचक निरीक्षण के दौरान 400 साल पुराना शिवमंदिर मिला तो संभल एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया। हाल ही में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा के बाद मुस्लिम बहुल इलाके में मंदिर मिलने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्मा गया। जिसके बाद रविवार को आरती हुई और रुद्राभिषेक भी किया गया। सवाल उठता है कि आखिर ये मंदिर 46 साल तक दुनिया की नजर में क्यों नहीं आया और आखिर क्यों इसे साढ़े चार दशक से ज्यादा बन्द रहना पड़ा, आखिर क्यों यहां रहने वाले हिन्दू परिवार यहां से पलायन कर गए। तो चश्मदीदों के मुताबिक वो मंजर बेहद भयावह था
खग्गूसराय इलाके में डर के मारे हुआ पलायन
चश्मदीदों के मुताबिक यहां पहले 40 से 50 हिन्दू परिवार रहते थे, 1978 के दंगों में हिन्दू परिवारों पर निशाना लगाकर हमले हुए, परिवार और बच्चों की सुरक्षा के लिए हिन्दू परिवार पलायन कर गए, यहां हिन्दू परिवारों ने अपनी सम्पत्ति को औने पौने दामों में बेचकर जान बचाई, धीरे धीरे एक भी हिन्दू परिवार यहां नहीं रह गया। जब हिन्दू परिवार ही नहीं रहा तो मंदिर में दिया कौन जलाता?
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दंगाइयों ने पार कर दी थी जुल्मो सितम की इंतहां
चश्मदीदों के मुताबिक इन दंगों में किसी के घर में दंगाईयों ने ट्रैक्टर घुसा दिया तो किसी की हत्या करके शवों को बोरे में भरकर फेंक दिया। ये बात नहीं थी कि जो पलायन करके गए वो गरीबी की वजह से गए, बल्कि सम्पन्न परिवार भी जान बचाने के लिए यहां के भाग निकले। इन्हीं में से एक रस्तोगी परिवार भी था, जिनकी बड़ी कोठी हुआ करती थी लेकिन अब वो खंडहर में तब्दील हो चुकी है और उस पर भी कब्जा हो चुका है।
कहां से पड़ी दंगे की नींव, कौन था मास्टर माइंड ?
साल 1978 में एक कॉलेज की कमेटी में एक मौलाना के शामिल होने पर विवाद शुरु हुआ। तत्कालीन एसडीएम जो कि कॉलेज कमेटी के पदेन सचिव थे उन्होंने विरोध किया, मौलाना का नाम मंजर शफी था, जिसने सदस्यता ना मिलने पर दंगा भड़काया ।इसके बीच 25 मार्च को होली के समय दोनों सम्प्रदायों में तनाव फैल गया। 29 मार्च को कॉलेज में डिग्री दी जाने वाली थी, जिस पर कुछ मुस्लिम छात्राओं ने आपत्ति जताई। इसे लेकर छात्रों ने कॉलेज का घेराव किया जिसमें अराजक तत्व भी शामिल हो गए। इसी बीच अफवाह फैली की मौलाना मंजर शफी की हत्या कर दी गई है
मौलाना की हत्या की अफवाह ने डाला आग में घी
इस अफवाह ने पहले से चल रहे तनाव के बीच आग में घी का काम किया और दंगा भड़क गया। दंगे में हिन्दुओं को टारगेट करके उनकी सम्पत्तियों पर हमला किया गया जिसके बाद इस हिंसा में दर्जन भर से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। नतीजा मुस्लिम इलाकों में रहने वाले हिन्दू परिवार इतना डर गए कि धीरे धीरे पलायन कर गए और फिलहाल इस इलाके में एक भी हिन्दू परिवार नहीं बचा है। ये और बात है कि मुस्लिम पक्ष हिन्दुओं के पलायन की वजह डर को नहीं मानता लेकिन अपनी लाखो की सम्पत्ति को इस कदर छोड़कर जाना सिर्फ मजबूरी हो सकती है। ये बात अलग से बताने की जरूरत नहीं है।
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