Dev Anand unique style : हिंदी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद का अपना एक अलग अंदाज था, जो उनके व्यक्तित्व को एक विशेष पहचान देता था। उनका शर्ट का ऊपरी बटन हमेशा बंद रहता था, जो उस समय एक खास फैशन ट्रेंड बन गया था। यह उनकी स्टाइलिश छवि का हिस्सा था और युवाओं ने इसे तेजी से अपनाया। इस आदत को देव आनंद ने अपने जीवनभर बनाए रखा, जिससे वह फैशन के प्रतीक बन गए।
गर्दन झुकाकर चलने की खास वजह
देव आनंद का गर्दन झुका कर चलने का अंदाज उनकी विनम्रता और शालीनता को दर्शाता था। उन्हें अपने प्रशंसकों और साथियों का सम्मान करना बहुत प्रिय था, और इस सम्मान का तरीका वह अक्सर अपने सिर को हल्का झुका कर व्यक्त करते थे। यह उनकी सादगी और सरल स्वभाव का प्रतीक था, जो उनके फैंस को बहुत आकर्षित करता था।
स्टाइल आइकन की छवि
देव आनंद की यह अनोखी शैली उन्हें बॉलीवुड के सबसे बड़े स्टाइल आइकन के रूप में स्थापित करती है। उनका पहनावा, बात करने का तरीका और चलने का अंदाज लोगों के लिए प्रेरणा बन गए थे। वह न केवल अपनी पीढ़ी के, बल्कि हर पीढ़ी के दिलों में बसे रहे, क्योंकि उनकी शैली और व्यक्तित्व ने समय के साथ भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी।
आज भी याद किया जाता है उनका स्टाइल
देव आनंद अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका अनोखा स्टाइल और फैशन सेंस आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। उनकी फिल्मों और उनके अनूठे अंदाज ने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है। उनका यह अंदाज आज भी याद किया जाता है, और वह हमेशा सिनेमा के इतिहास में एक प्रेरणा के रूप में बने रहेंगे।
देव आनंद का यह विशिष्ट अंदाज हमेशा उन्हें अलग और खास बनाता रहेगा, क्योंकि वह न केवल अभिनेता थे, बल्कि एक वास्तविक फैशन आइकन भी थे।
जीवन परिचय और फिल्मी सफर
देश-दुनिया में नाम कमाने वाले देव आनंद का असली नाम धर्मदेव पिशोरिमल आनंद है। 26 सितंबर 1923 को गुरदासपुर के शकरगढ़ में जन्मे देव आनंद एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते थे। साल था 1946 का और फिल्म थी, हम एक हैं, जिससे देव आनंद ने अपने करियर की शुरुआत की थी और यह सफर 2011 तक बिना रुके चलता रहा। उनकी आखिरी फिल्म 2011 में आई चार्ज शीट थी।
छह दशकों से ज़्यादा लंबे करियर में उन्होंने 100 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया। आनंद को चार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले हैं, जिनमें दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए हैं। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।