Makar Sankranti and Khichdi tradition : मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक होता है, जो खेती, समृद्धि और सूर्य की पूजा से जुड़ा है। इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा बहुत पुरानी है, और यह भारतीय घरों में यह रस्म एक त्योहार की तरह मनाई जाती है।
खिचड़ी खाने की परंपरा
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा क्यों शुरू हुई, यह सवाल बहुतों के मन में आता है। इसका जवाब हमारे आहार और मौसम के बदलाव से जुड़ा हुआ है। सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है, और खिचड़ी एक हल्का, गर्म और पौष्टिक भोजन है। चावल, दाल और घी का मिश्रण शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे मकर संक्रांति के दिन इसे विशेष रूप से खाने की परंपरा शुरू हुई।
खेती और खिचड़ी का संबंध
मकर संक्रांति का पर्व कृषि आधारित है, खासतौर पर किसानों के लिए यह एक खुशहाल समय होता है, जब नई फसल तैयार होती है। खिचड़ी में चावल और दाल का मिश्रण होता है, जो अनाज के समृद्धि और अच्छे मौसम के प्रतीक होते हैं। इस दिन खिचड़ी खाने से एक तरह से किसानों और कृषक समुदाय के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। यह परंपरा देशभर में किसानों की समृद्धि और उनकी मेहनत की सराहना करने के रूप में मनाई जाती है।
खिचड़ी का स्वास्थ्य लाभ
खिचड़ी एक बेहद स्वास्थ्यवर्धक भोजन है, जो शरीर को ताजगी और ताकत देता है। इसके अलावा, यह हल्का और पचने में आसान होता है, जो सर्दी के मौसम में बेहद फायदेमंद है। इस दिन खिचड़ी का सेवन करने से शरीर को गर्माहट मिलती है और यह सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
मकर संक्रांति का पर्व न सिर्फ भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह एक उत्सव है जो पूरे देश में खुशी और समृद्धि का प्रतीक बनकर मनाया जाता है। खिचड़ी खाने की परंपरा का इतिहास कृषि, मौसम और शरीर की ज़रूरतों से जुड़ा हुआ है। इस दिन को सही तरीके से मनाकर, हम अपने पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं को सहेज सकते हैं, जो न केवल हमें शारीरिक लाभ देते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी आगे बढ़ाते हैं।