Mahakumbh 2025 : महाकुंभ का मेला, जो हर 12 सालों में विशेष योग और ग्रह स्थिति के अनुसार आयोजित किता जाता है, लो न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है बल्कि इसे पापों का नाश करने वाला भी माना गया है। यह कुंभ मेले का आयोजन चंद्र देव की एक अद्भुत गलती का परिणाम है, जो धरतीवासियों के लिए वरदान बन गई। आइए जानते हैं इस रोचक कथा के बारे में…
समुद्र मंथन और अमृत का कलश
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। मंथन के दौरान कई दिव्य और बहुमूल्य चीजें निकलीं, जिनमें अमृत का कलश सबसे महत्वपूर्ण था। अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच भयंकर संघर्ष हुआ था।
असुरों ने देवताओं को हराकर अमृत कलश को अपने अधिकार में ले लिया। तब देवताओं ने एक योजना बनाई और इंद्र के पुत्र जयंत को अमृत कलश लाने की जिम्मेदारी दी। जयंत ने पक्षी का रूप धारण कर असुरों से अमृत कलश चुरा लिया।
देवताओं की भूमिका और चंद्रमा की भूल
जयंत को अमृत कलश सुरक्षित लाने के लिए सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शनि को जिम्मेदारियां सौंपी गईं….
- सूर्य: अमृत कलश को टूटने से बचाने के लिए।
- चंद्रमा: अमृत छलकने से रोकने के लिए।
- बृहस्पति: असुरों को रोकने के लिए।
- शनि: जयंत की निगरानी के लिए ताकि वह अमृत स्वयं न पी ले।
यात्रा के दौरान चंद्रमा से एक भूल हो गई। अमृत का कलश संभालते समय चंद्रमा की लापरवाही से अमृत की चार बूंदें धरती पर गिर गईं। ये बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। इन स्थानों को पवित्र माना गया, और यहीं से कुंभ मेले की परंपरा शुरू हुई।
कुंभ और ग्रहों का महत्व
अमृत कलश लाने वाले इन देवताओं के कारण ही कुंभ का आयोजन विशेष ग्रह स्थिति, खासकर सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शनि के योग के आधार पर किया जाता है। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, और आध्यात्मिक प्रगति होती है।
कुंभ का संदेश
चंद्रमा की इस भूल ने धरतीवासियों को आध्यात्मिक लाभ का अनमोल अवसर दिया। महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह हमें दिव्यता और शुद्धता का संदेश देता है। महाकुंभ 2025 में इन पवित्र स्थलों पर स्नान करके पापों का नाश करें और आत्मा को शुद्ध करें।