प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरूआत होने जा रही है। 45 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व पर करीब 40 से 45 करोड़ भक्त संगम के तट पर डुबकी लगाकर पुण्ण कमाएंगे। संतों के अखाड़ों का आना भी जारी है। इसी कड़ी में श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) भव्यता के साथ निकली। झांकी में शिव के रूप में कलाकार ने गले में अजगर लपेट रखा है। नरमुंड की माला पहन रखी है। इसमें 500 से ज्यादा साधु-संत शामिल हैं। जो शिव आराधना के साथ गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं।
साधू-संतों को हुआ भव्य स्वागत
इन सभी 13 अखाड़ों के साधु संत शाही स्नान के दौरान पवित्र नदियों में आस्था की डुबकियां लगाएंगे। इन्हीं 13 प्रमुख अखाड़ों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन। शुक्रवार को श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई ऑन-बान के साथ प्रयागराज की सड़कों से निकली। पेशवाई मुंशी राम बगिया, मुठ्ठीगंज से रवाना हुई। इस दौरान जगह-जगह फूल बरसा कर साधु-संतों का स्वागत किया गया। लोग साधुओं के साथ सेल्फी भी ली। श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई में साधुओं के साथ सिख संत भी शामिल रहे। नया उदासीन अखाड़े की पेशवाई में गुरुबाणी का पाठ भी किया जा रहा है।
सबको बनाया मुरीद
इस दौरान एक शख्स गले में अजगर और नरमुंडों की माला पहनकर आगे-आगे चल रहा था। भगवान शिव का रूप धरे शख्स को देख लोगों ने बम-बम के जयकारे भी लगाए। अखाड़े में करीब पांच सन्यासी शामिल रहे, जो 45 दिनों तक संगमनगरी स्थित रेती में कठोर तपस्या करेंगे। श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा करीब 111 साल पुराना है। इसका रजिस्ट्रेशन 1913 में हुआ था। अखाड़ों के महंत बताते हैं, बड़ा उदासीन अखाड़े के संतों से वैचारिक मतभिन्नता के बाद महात्मा सूरदास जी की प्रेरणा से एक अलग अखाड़ा स्थापित किया गया। जिसे श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा (हरिद्वार) नाम दिया गया। इसका प्रमुख केंद्र हरिद्वार के कनखल में है।
ये अखाड़ा बड़ा महत्वपूर्ण
ये अखाड़ा बड़ा ही महत्वपूर्ण है। ये अखाड़ा अपना इष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र देव जी भगवान और ब्रह्मा जी के चार पुत्रों को मानता है। ये अखाड़ा सनातन धर्म और सिख पंथ दोनों की ही परंपराओं पालन करता है। अखाड़े की देशभर में 1600 शाखाएं हैं। इस अखाड़े में चार पंगत होते हैं। इन चार पंगतों के चार महंत होते हैं, जिसमें से एक श्रीमंहत के पद पर होते हैं। श्रीमंहत ही सारे अखाड़े की संचालन व्यवस्था को देखते हैं। इस अखाड़े की सबसे खास बात ये है कि इसमें नागा साधु नहीं होते। अखाड़े की धर्मध्वजा में एक तरफ जहां हनुमान जी की तस्वीर होती है, वहीं इसमें चक्र भी विशेष महत्वपूर्ण है।