America’s Decision on Chip Exports अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चिप्स के निर्यात के नियमों में बदलाव किया है। अब चीन और रूस को ये चिप्स नहीं बेचे जाएंगे। हालांकि, 20 देशों को इस फैसले से छूट दी गई है। समस्या ये है कि भारत का नाम उन 20 देशों की सूची में शामिल नहीं है।
भारत से दूरी क्यों
यह सवाल उठता है कि अमेरिका ने भारत को इस सूची से क्यों बाहर रखा। रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा, जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस का बायकॉट कर रखा था। भारत के इस फैसले ने अमेरिका को नाराज किया हो यह वजह भी हो सकती है।
किन देशों को छूट
अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, और साउथ कोरिया जैसे देशों को इस नियम से छूट दी है। यह फैसला अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। लेकिन भारत, जो अमेरिका का अहम साझेदार माना जाता है, इस सूची में नहीं है।
भारत को हो सकता है फायदा
हालांकि, यह फैसला भारत के लिए पूरी तरह नुकसानदेह नहीं है। भारत ने सेमीकंडक्टर और AI टेक्नोलॉजी पर ध्यान देना शुरू किया है। अमेरिकी चिप्स की अनुपलब्धता से भारत अपनी खुद की तकनीक और उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है।
एनवीडिया का विरोध
AI चिप्स बनाने वाली अग्रणी कंपनी एनवीडिया ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे अमेरिका का टेक्नोलॉजी प्रभुत्व कमजोर हो सकता है। इसके अलावा, ग्राहक चीन की कंपनी हुवावे की तरफ झुक सकते हैं, जिससे चीन को फायदा होगा।
अमेरिका का तर्क
अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लिया गया है। वे चाहते हैं कि एडवांस टेक्नोलॉजी केवल उनके सहयोगी देशों तक ही सीमित रहे। उनका तर्क है कि इससे AI विकास अमेरिकी मानकों के तहत ही होगा।
क्या यह है एक गलती
इस फैसले के विरोध में कहा जा रहा है कि इससे अमेरिका की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। जिन देशों को चिप्स नहीं मिलेंगी, वे चीन जैसे विकल्प तलाश सकते हैं। इसका असर अमेरिकी कंपनियों के मुनाफे और बाजार पर भी पड़ सकता है।
अमेरिका का यह फैसला उसके राष्ट्रीय हितों के अनुसार लिया गया है, लेकिन भारत जैसे बड़े साझेदार को सूची से बाहर रखना सवाल खड़े करता है। यह भारत के लिए खुद की टेक्नोलॉजी को मजबूत करने का मौका हो सकता है। लेकिन अमेरिका की यह नीति उसे लंबे समय में नुकसान पहुंचा सकती है।
रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका नाराज हो सकता है। एनवीडिया ने फैसले का विरोध किया। यह भारत के लिए अपनी टेक्नोलॉजी विकसित करने का मौका हो सकता है।