लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। Shamli UP STF Encounter Latest News उत्तर प्रदेश के शामली में यूपी एसटीएफ और कग्गा गैंग के बदमाशों के बीच एनकाउंटर हुआ। जिसमें चारों खूंखार अपराधी मार गिराए गए। लेकिन मुठभेड़ के दौरान एसटीएफ को भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। फोर्स ने अपने जांबाज इंस्पेक्टर सुनील कुमार को खो दिया। शहीद होने से पहले इंस्पेक्टर बड़ी बहादुरी के साथ क्रिमिनल से लड़े। उनकी घेरांबदी की। कार की घेराबंदी होते हुए बदमाशों ने कारबाइन, पिस्टल और तमंचे से गोलियां बरसा दीं। एक गोली इंस्पेक्टर सुनील कुमार के सीने में जा लगी। गोली लगने के बाद भी इंस्पेक्टर सुनील ने एके-47 से बदमाशों पर गोलियां चलाई। दोनों ओर से करीब दो-तीन मिनट गोलियां चलती रहीं। इसमें इंस्पेक्टर को तीन गोली लगीं और वह जमीन पर गिर पड़े। तभी एसटीएफ टीम ने मोर्चा संभाल लिया और जवाबी कार्रवाई में चार बदमाशों को ढेर कर दिया।
मारा गया कुख्यात कग्गा गैंग का सरगना
कुख्यात कग्गा गैंग के सरगना अरशद की तूती दिल्ली, यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड पर बोलती थी। अरशद इस समय पश्चिम यूपी के कुख्यात कग्गा गैंग को ऑपरेट कर रहा था और यूपी पुलिस ने शातिर पर एक लाख का इनाम रखा हुआ था। कग्गा गैंग की दहशत फिल्म शोले के गब्बर जैसी रही है। शाम होते ही थानों में ताले लगा दिए जाते थे। पुलिस वालों की हत्या कर थाने से हथियार लूटना, सरेआम गाड़ियों को हाइजैक कर लूट लेना। ये कग्गा गैंग का खौफ फैलाने का पैटर्न था। अपहरण, हत्या और फिरौती को कग्गा गैंग ने इंडस्ट्री के रूप में डेवलप कर लिया था। इनकी बात न मानने वालों की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती थी।
अब जानें और था कग्गा
मुस्तफा उर्फ कग्गा, सहारनपुर के बाढ़ी माजरा का रहने वाला था। कग्गा की कई राज्यों में इस कदर दहशत थी कि उसके खौफ से शाम होते ही थानों में ताले लग जाते थे। पुलिस कर्मी चले जाते थे। गैंग थानों के सामने ही गाड़ी लगाकर तमंचे के बल पर हथियार लूट लेता था। उसके टारगेट पर हमेशा पुलिस रहती थी। कग्गा पुलिस पर भी गोलियां बरसाने से जरा भी नहीं हिचकता था। कग्गा ने दिनदहाड़े कांस्टेबल सचिन की हत्या कर दी थी। इसके बाद कग्गा ने दो सिपाहियों का और मर्डर किया और उनकी राइफल लूट ली। तत्कालीन सरकार ने कग्गा के खात्में के लिए एसटीएफ को लगाया। आखिरकार कग्गा 2011 में एनकाउंटर के दौरान मारा गया।
फिर मुकीम ने संभाली गैंग की कमान
कग्गा के एनकाउंटर के बाद मुकीम काला ने गैंग की कमान अपने हाथों में ली और अरशद की भी गैंग में एंट्री हुई। मुकीम काला ने कग्गा से ही जरायम दुनिया का ककहरा सीखा था। कग्गा के बाद मुकीम काला वेस्ट यूपी के अपराध जगत का बड़ा नाम था। मुकीम काला का नाम सुनकर शामली, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, पानीपत, सोनीपत और देहरादून के कारोबारी, नेता दहशत में आ जाते थे। मुकीम पुलिस पर गोली चलाने से पहले कुछ नहीं सोचता था। इस डर के कारण कोई उसके गिरोह की मुखबिरी नहीं कर पाता था। यूपी व हरियाणा सरकार ने दो लाख का इनाम घोषित किया था। मुकीम काला पर 11 साल में 61 मुकदमे दर्ज थे।
’गैंग्स ऑफ कैराना’ रखा नाम
मुकीम के अपने गैंग का नाम बदल कर ’गैंग्स ऑफ कैराना’ रख लिया। मुकीम काला वेस्ट यूपी का खतरनाक गैंग बन गया। गैंग में 17 शॉर्प शूटर थे। साबिर इस गैंग का सबसे शॉर्प शूटर था। जिसका निशाना अचूक था। कुछ माह के बाद पुलिस मुकीम काला को अरेस्ट कर लेती है। उसे चित्रकूट जेल में रखा जाता है। 4 मई, 2021 में मुकीम की चित्रकूट जेल में हत्या हो जाती है। गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में अंशुल को ढेर कर दिया। मुकीम की मौत के बाद अरशद ने पूरा गैंग संभाला। इसके बाद करीब 20 से 25 लूट, हत्या और गैंगस्टर की वारदातों को अंजाम दिया। उसने हरियाणा, दिल्ली, वेस्ट यूपी के कई और लोगों को गैंग में जोड़ना शुरू किया। इसके बाद अपने हिसाब से पूरा नेटवर्क ऑपरेट कर रहा था।
ऐसे मारा गया अरशद
शामली जनपद में सोमवार देर रात 2 बजे यूपी एसटीएफ ने मुखबिर की सूचना पर कार से जा रहे चार बदमाशों को घेर लिया। लेकिन बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में एसटीएफ ने भी फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ टीम के सदस्यों ने बताया कि चारों बदमाश कारबाइन, 32 बोर की पिस्टल, तमंचा और पौना बंदूक से गोलियां चला रहे थे। सबसे पहले एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बदमाशों को ललकारा और आत्मसमर्पण के लिए कहा। बदमाशों ने गोलियां चलाना बंद नहीं किया और एक गोली इंस्पेक्टर सुनील के सीने में लगी। उन्होंने बायां हाथ सीने पर रखा था और दाएं हाथ से एके-47 से गोलियां चलाईं। बदमाशों की दो गोलियां फिर से जांबाज इंस्पेक्टर को लगीं। तीसरी गोली सुनील के लीवर में घुस गई थी। जवाबी फायरिंग में चारों बदमाश मारे गए।
ऑपरेशन को लीड कर रहे थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार
एसटीएफ एसपी बृजेश सिंह ने बताया कि बदमाशों को पकड़ने के लिए दो टीम बनाई थीं। एक टीम को इंस्पेक्टर सुनील कुमार लीड कर रहे थे। गोली लगने के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं खोया और बदमाशों पर जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाते रहे। पूरी गैंग का खात्मा करने के बाद भी वह डटे रहे। अपराधियों के एनकाउंटर के बाद इंस्पेक्टर को अस्पताल में लाया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें मेदांता रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान इंस्पेक्टर शहीद हो गए। एसटीएफ से जुड़े एक कांस्टेबल ने बताया कि इंस्पेक्टर सुनील कुमार बहुत जिंदादिल इंसान थे। वह पिछले कईदिनों से कग्गा गैंग पर नजर बनाए हुए थे। सटीक सूचना पर गैंग को घेरा गया। तभी बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। खुद कार से उतर कर इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने एक 47 से फायरिंग कर अपराधियों को खमोस कर दिया।
1990 में कांस्टेबल पद पर हुए थे भर्ती
मसूरी गांव निवासी एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार (52) के दम तोड़ने की सूचना पर गांव में शोक व्याप्त हो गया। उनके घर सांत्वना देने वालों की भीड़ लग गई। सुनील कुमार जून 1990 में यूपी पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 1997 में हरियाणा के मानेसर स्थित अकादमी से उन्होंने कमांडो का प्रशिक्षण लिया था। 2009 में एसटीएफ में उनकी तैनाती हुई। उनकी तैनाती लखनऊ, नोएडा, मेरठ सहित अन्य एसटीएफ केंद्रों पर रही। लगातार बेहतर कार्य के बल पर पदोन्नति पाते रहे।
कई अपराधियों को कर चुके हैं ढेर
सुनील ने शामली में आईएसआई एजेंट कलीम को गिरफ्तार कराने में अहम भूमिका निभाई थी। वर्ष 2023 में अनिल दुजाना को मार गिराया था। 30 मई 2024 को लोनी बॉर्डर पर पचास हजार के इनामी लोनी के राहुल को गिरफ्तार किया था। 8 अक्तूबर 2021 को रंगदारी, अपहरण, हत्या को अंजाम देने वाले पचास हजार के इनामी गोहाना के नवीन को गौतमबुद्धनगर से गिरफ्तार किया था। इनके अलावा भी कई इनामियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई थी। एसटीएफ के एसपी के अनुसार सुनील साहसी थे और घटनाओं का चंद दिनों में ही खुलासा करने में भी अहम भूमिका निभाते थे।