Delhi Chunav 2025 : दिल्ली के चुनावी मैदान में जाति, जेंडर और क्षेत्र को ध्यान में रखकर पार्टियां अपनी रणनीति बना रही हैं। उम्मीदवारों के चयन से लेकर घोषणापत्र तैयार करने तक, इन तीन पहलुओं को साधने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, पिछले तीन चुनावों के रुझानों पर नजर डालें तो दिल्ली के मतदाताओं के लिए पांच बड़े मुद्दे हर बार निर्णायक साबित होते हैं।
ये पांच बड़े मुद्दे हैं – महंगाई, बेरोजगारी, साफ पानी, महिला सुरक्षा और विकास। दिल्ली, जो विभिन्न जातियों, धर्मों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है, में यही मुद्दे सरकार बनाने और गिराने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं इन मुद्दों की पूरी कहानी।
महंगाई बना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा
दिल्ली के चुनावों में महंगाई हमेशा से ही शीर्ष पर रही है। सीएसडीएस के आंकड़ों के अनुसार, 2013 में 39.4% लोगों ने महंगाई को सबसे बड़ा मुद्दा बताया था। इसके बाद 2015 में यह आंकड़ा घटकर 17.3% रह गया। वहीं, 2020 में केवल 3.5% लोगों ने इसे अहम मुद्दा माना। इस बार महंगाई को फ्री सुविधाओं के वादों के जरिए नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
बेरोजगारी पर नाराजगी बढ़ती गई
महंगाई के बाद बेरोजगारी दिल्ली में सबसे अहम मुद्दा बनता जा रहा है। 2013 में केवल 2.5% लोगों ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बताया था, जबकि 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 4.1% हो गया। 2020 के चुनाव में बेरोजगारी को 10% लोगों ने अहम मुद्दा बताया। इस बार भी रोजगार के वादों पर जोर दिया जा रहा है।
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दिल्ली में विकास का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहा है। 2013 में 9.9% लोगों ने विकास को अपने वोट का आधार बताया, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 11.3% हो गया। 2020 में यह आंकड़ा दोगुना बढ़कर 20% हो गया। इस बार भी पार्टियां अपने घोषणापत्र में विकास के वादों पर जोर दे रही हैं।
साफ पानी की समस्या बनी प्राथमिकता
दिल्ली में पानी की समस्या भी अहम मुद्दा रही है। 2013 में 3.8% मतदाताओं ने इसे बड़ा मुद्दा बताया था, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 4.1% था। 2020 में 2.5% लोगों ने पानी को प्राथमिकता दी। इस बार भी साफ पानी की आपूर्ति को लेकर वादे किए जा रहे हैं। 2012 के निर्भया कांड के बाद से महिला सुरक्षा दिल्ली का बड़ा मुद्दा बन गई है। 2013 में 2.3% लोगों ने इसे अहम बताया था, जबकि 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 8.1% हो गया।
2020 में 3.5% मतदाताओं ने इसे प्राथमिकता दी। इस बार महिला सुरक्षा फिर से पार्टियों के एजेंडे का हिस्सा है। इन पांच बड़े मुद्दों ने हर बार जाति, धर्म और क्षेत्रीय कारकों को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली के चुनावी नतीजों पर असर डाला है। चुनाव में पार्टियां इन्हीं मुद्दों को भुनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।