Donald Trump News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा है, जब अमेरिका के संघीय न्यायाधीश ने उनके द्वारा जारी किए गए जन्मजात नागरिकता पर आदेश पर रोक लगा दी। यह आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन मानते हुए असंवैधानिक करार दिया गया। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को आदेश को लागू करने से रोकते हुए चेतावनी दी कि अगर आदेश का उल्लंघन हुआ तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश चार डेमोक्रेटिक पार्टी के राज्यों द्वारा ट्रंप के फैसले को चुनौती दिए जाने के बाद आया। इस विवाद के बाद अमेरिकी नागरिक अधिकार समूहों और राजनीतिक दलों के बीच खलबली मच गई है।
Donald Trump के आदेश पर कोर्ट ने लगाई रोक
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump का जन्मजात नागरिकता पर आदेश अमेरिकी राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर गया है। 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रंप ने यह आदेश साइन किया था। आदेश के अनुसार, उन्होंने अमेरिकी एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता को तब तक मान्यता न दें, जब तक उनके माता-पिता अमेरिका के नागरिक या कानूनी रूप से स्थायी निवासी नहीं हैं। इसके परिणामस्वरूप ऐसे बच्चों के लिए नागरिकता के अधिकार को छीन लिया जाता, जिनके माता-पिता अप्रवासी होते।
संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन
यह आदेश जब डेमोक्रेटिक पार्टी के राज्यों द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई, तो मामले ने तूल पकड़ लिया। राज्यों ने तर्क दिया कि यह आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन करता है, जो जन्म के समय नागरिकता प्रदान करता है। संघीय न्यायाधीश जॉन कफनॉर ने मामले की सुनवाई के बाद ट्रंप के आदेश पर रोक लगा दी और इसे असंवैधानिक करार दिया। न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रपति के पास संवैधानिक अधिकारों को छीनने का अधिकार नहीं है।
अमेरिका में खलबली
Donald Trump के इस आदेश के बाद अमेरिकी नागरिक अधिकार संगठनों और प्रवासी परिवारों ने इसे अत्यधिक विवादास्पद करार दिया। कुछ ही घंटों में, यह मामला कोर्ट में पहुंच गया, जहां यह दावा किया गया कि अगर यह आदेश लागू होता है, तो हर साल 150,000 से अधिक बच्चों को नागरिकता के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा। इसके बाद देश भर में बच्चों के जन्म के लिए अस्पतालों में हड़बड़ी मच गई, खासकर भारतीय दंपत्ति द्वारा समय से पहले प्रसव की तैयारी की जाने लगी। ट्रंप का आदेश ना सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।