प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। CM Yogi Adityanath Mahakumbh 2025 News भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्म और आस्था का प्रतीक, महाकुंभ मेला का शंखनाद 13 जनवरी 2025 को हो गया। एक सप्ताह के अंदर करीब 10 करोड़ भक्तों ने त्रिवेणी में डुबकी लगाकर नया कीर्तिमान गढ़ा। फिलहाल भक्तों के आने का सिलसिला जारी है। एक अनुमान के मुताबिक, इसबार महाकुंभ में करीब 45 से 50 करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं। बता दें, महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, जिसमें देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से साधु-संत और भक्त पहुंच रहे हैं। आने वाले लोगों को कोई समस्या न हो इसके लिए आधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेले का कमान अपने हाथों में संभाली हुई है। खुद वह अपनी पूरी सरकार के साथ संगम में डुबकी भी लगा चुके हैं। अब लोग ‘महाराज जी’ को महाकुंभ का शिल्पी कहकर पुकार रहे हैं।
144 साल बाद बना संयोग
महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ में दुनिया भर के संत-साधु व भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस धार्मिक आयोजन में शाही स्नान का विशेष महत्व है, जिसे अमृत स्नान भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि शाही स्नान के दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पापों का प्रायश्चित होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। अमृत स्नान लोगों को आध्यात्मिकता के करीब लाता है। पहला शाही स्नान 14 जनवरी को हुआ। तब करीब पांच करोड़ भक्तों ने त्रिवेणी में डुबगी लगाई। बताया जा रहा है कि इस साल का महाकुंभ बेहद शुभ माना जा रहा है, क्योंकि ज्योतिषियों के मुताबिक 144 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बना हुआ है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि ऐसा दुर्लभ खगोलीय संयोग समुद्र मंथन के दौरान बना था। अब शुभ नक्षत्रों वाला महाकुंभ 2159 में पड़ेगा। ऐसे में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग तीर्थराज पहुंच रहे हैं। ट्रेनें फुल हैं। बसों पर जगह नहीं है। हवाई जहाजों के टिकट भी हफ्तों पहले बुक हो गए हैं।
4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला है महाकुंभ
प्रयागराज का महाकुंभ मेला करीब 4000 हेक्टेयर भूमि पर फैला है। प्रशासन ने इसे 25 सेक्टरों में बांटा हुआ है। उत्तर प्रदेश शासन ने महाकुंभ मेला परिक्षेत्र को राज्य का 76वां जिला घोषित किया है। महाकुंभ के लिए प्रशासन ने संगम तट पर कुल 41 घाट तैयार किए हैं। इनमें 10 पक्के घाट हैं, जबकि बाकी 31 घाट अस्थायी हैं। संगम घाट प्रयागराज का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण घाट है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। इसीलिए इसे त्रिवेणी घाट के नाम से भी जानते हैं। प्रदेश सरकार ने यूपी के 76वें जिले के लिए अलग से अधिकारियों की तैनाती की है। एक आईएएस अफसर को मेला अधिकारी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी को डीआईजी के पद पर बैठाया गया है। करीब 50 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। जिसमें एनएसजी, एटीएस और यूपी एसटीएफ के कमांडों भी शामिल हैं। जल, थल और आकाश में सुरक्षाबल के जवान पहरेदारी कर रहे हैं।
29 फरवरी को मौनी अमावस्या
महाकुंभ 2025 में पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के अवसर पर हुआ। इस दिन अनुमानित 5 करोड़ श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। 29 जनवरी को ’मौनी अमावस्या’, 3 फरवरी को ’बसंत पंचमी’, 12 फरवरी को ’माघी पूर्णिमा’ और 26 फरवरी को ’महाशिवरात्रि’ हैं। महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान के साथ ही महाकुंभ का समापन होगा। सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार के साथ प्रयागराज के संगम तट पर पहुंचे। मंत्रियों के साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाई। फिर कैबिनेट की बैठक कर कई ऐतिहासिक फैसले किए। सीएम योगी आदित्यनाथ के चलते दुनिया का सबसे बड़ा महापर्व किसी भी व्यवधान के सुचारू से जारी है। भक्त भी सीएम योगी की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं।
ऐसी है महाकुंभ की व्यवस्था
किसी विपरीत परिस्थिति में साधु-संतों और श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रत्येक सेक्टर में एक सेंट्रल हॉस्पिटल के अलावा 20 बिस्तरों वाला एक अस्पताल भी बनाया गया है। स्नान के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी घाटों पर 300 से अधिक गोताखोरों को तैनात किया गया है। भीड़ के प्रभावी प्रबंधन और निगरानी के लिए एआई संचालित कैमरे, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए गए हैं। मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट्स की निगरानी और नियंत्रण के लिए 7 प्रमुख मार्गों पर 102 चौकियां स्थापित की गई हैं। संगम और उसके आसपास के जलमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निगरानी के लिए 113 ड्रोन तैनात किए गए हैं।
10 लाख लोगों के ठहरने की व्यवस्था
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुंओं के लिए मेला प्रशासन की तरफ से ठहरने की व्यापक व्यवस्था की गई है। मेला क्षेत्र में 10 लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इनमें फ्री और पेड दोनों तरह की व्यवस्थाएं हैं। प्रशासन की तरफ से ऑलीशान टेंट सिटी का निर्माण करवाया गया है। संगम के आसपास कुल 3000 बेड के रैन बसेरे बनाए गए हैं। महाकुंभ जिले में कुल 204 गेस्ट हाउस, 90 धर्मशालाएं हैं, सभी में ठहरने की व्यवस्था है। संगम के आसपास के इलाके में घरों को पीजी हाउस में बदला गया है। महाकुंभ मेले में घूमने के लिए श्रद्धालु मैप का सहारा ले सकते हैं। इस बार गूगल मैप ने मेले के लिए अलग व्यवस्था की है। मेला परिसर पर 138 राशन की दुकानें खोली गई हैं।
2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा कि 2019 में प्रयागराज के अर्धकुंभ मेले ने राज्य की अर्थव्यवस्था में 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया था। इस बार, महाकुंभ मेले में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जो राज्य की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वहीं आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ मेला 2025 से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये तक का योगदान हो सकता है। अगर यहां आने वाला हर श्रद्धालु औसतन 5,000 रुपये खर्च करता है, तो इस आयोजन से कुल 2 लाख करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है। हालांकि, कुछ अनुमानों के अनुसार, प्रति व्यक्ति खर्च 10,000 रुपये तक पहुंच सकता है, जिससे कुल आर्थिक प्रभाव 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इससे राज्य की जीडीपी में 1 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है।
उद्योगों को लगे अर्थ के पंख
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के अनुसार, महाकुंभ मेले से विभिन्न उद्योगों को लाभ होने की उम्मीद है। पैकेज्ड खाद्य पदार्थों, पानी, बिस्कुट, जूस और अन्य खाद्य पदार्थों के बिजनेस से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। धार्मिक वस्त्र, तेल, दीपक, गंगा जल, मूर्तियां, अगरबत्तियां, और धार्मिक पुस्तकें जैसे प्रसाद और अन्य उत्पादों से भी 20,000 करोड़ रुपये की आय हो सकती है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट और रसद क्षेत्र, जिसमें स्थानीय और अंतरराज्यीय सेवाएं, माल ढुलाई और टैक्सी सेवाएं शामिल हैं, जिनसे 10,000 करोड़ रुपये का योगदान हो सकता है। पर्यटन सेवाओं जैसे टूर गाइड और यात्रा पैकेजों से भी 10,000 करोड़ रुपये की आय की संभावना है।
धर्म के साथ अर्थ भी मुहैया करा रहा महाकुंभ
अस्थायी चिकित्सा शिविरों, आयुर्वेदिक उत्पादों और दवाइयों से 3,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। ई-टिकटिंग, डिजिटल भुगतान, और मोबाइल चार्जिंग स्टेशन जैसे क्षेत्रों से 1,000 करोड़ रुपये का योगदान हो सकता है। मनोरंजन, विज्ञापन और प्रचार गतिविधियों से भी 10,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के अधिकारियों का अनुमान है कि महाकुंभ 2025 सरकारी राजस्व में करोड़ों कायोगदान दे सकता है। इस आयोजन से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों, होटल व्यवसायियों, होमस्टे मालिकों, रेस्तरां संचालकों और खाद्य विक्रेताओं को लाभ होने की उम्मीद है। डाबर, मदर डेयरी और आईटीसी जैसे प्रमुख ब्रांडों द्वारा 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान है।
15 लाख विदेशी पर्यटकों के आने का अनुमान
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि महाकुंभ में 15 लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय ने विदेशी मेहमानों को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद, योग और पंचकर्म जैसी सुविधाएं प्रदान करने वाला एक टेंट सिटी स्थापित की है। महाकुंभ के सेक्टर 7 में 10 एकड़ में ’कलाग्राम’ बनाया गया है, जहां भारतीय सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जा रहा है। कलाग्राम महाकुंभ मेले के मुख्य आकर्षणों में से एक है। जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक प्रदर्शन होंगे. इसमें चार धाम, 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति वाला एक भव्य प्रवेश द्वार, एक अनंत कुंभ प्रदर्शनी और देश की विविधता को प्रदर्शित करने वाले 7 सांस्कृतिक प्रांगण हैं।
3000 स्पेशल ट्रेनें
भारतीय रेलवे ने महाकुंभ के लिए 3000 स्पेशल ट्रेनें शुरू की हैं। ये ट्रेनें 13 हजार से अधिक फेरे लगाएंगी। प्रयागराज जंक्शन के अलावा 8 सब-स्टेशन बनाए गए हैं। ये सब-स्टेशन रेलवे के तीन जोन- उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे में बांटे गए हैं। कानपुर, दीनदयाल उपाध्याय, सतना, झांसी रूट की ट्रेनें प्रयागराज जंक्शन पर रुकेंगी और वापसी के लिए यहीं से चलेंगी। सतना, झांसी और दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन की तरफ से जो रूटीन ट्रेनें आएंगी उन्हें नैनी और छिवकी जंक्शन पर रोका जाएगा। प्रमुख स्नान दिवसों के लिए महाकुंभ आने वाली स्पेशल ट्रेनों को भी नैनी और छिवकी जंक्शन पर रोका जाएगा। लखनऊ, अयोध्या और जौनपुर की तरफ से आने वाली ट्रेनों को फाफामऊ स्टेशन, प्रयाग स्टेशन व प्रयागराज संगम स्टेशन पर रोका जाएगा। शाही स्नान वाले दिनों पर ट्रेनों को प्रयागराज संगम स्टेशन तक नहीं जाने दिया जाएगा।
हवाई यात्रा के जरिए पहुंचे महाकुंभ
प्रयागराज से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, इंदौर, अहमदाबाद, कोलकाता, जयपुर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, हैदराबाद, भोपाल, चेन्नई, पुणे, गोवा, नागपुर, जम्मू, पटना, गोवा, अयोध्या, रायपुर, देहरादून, जबलपुर, चंडीगढ़, बिलासपुर के लिए फ्लाइट रहेगी। यानी उपरोक्त शहरों से श्रद्धालु हवाई मार्ग से सीधे प्रयागराज पहुंच सकते हैं और संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद वापस प्रयागराज से सीधे अपने शहर के लिए फ्लाइट पकड़ सकते हैं। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक त्रिवेणी संगम में स्नान और मेला घूमने के बाद प्रयागराज के अन्य पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर भी जा रहे हैं। इनमें लेटे हनुमान जी का मंदिर, अक्षयवट, पातालपुरी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर, शंकर विमानमण्डपम महाकुंभ मेला क्षेत्र के अंतर्गत ही आते हैं।
देख सकते हैं महाकुंभ मेले का एरियल व्यू
अगर किसी श्रद्धालु को पूरे महाकुंभ मेले का एरियल व्यू देखना है तो वह सिर्फ 1296 रुपये का भुगतान करके हेलिकॉप्टर की सवारी कर सकता है। पहले यह किराया 3000 रुपये था, लेकिन सरकार ने इसे कम कर दिया है। उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि 8 मिनट की हेलिकॉप्टर राइड होगी। इस दौरान श्रद्धालुओं को आसमान से भव्य और दिव्य महाकुंभ मेला क्षेत्र का एक अद्वितीय नजारा देखने को मिलेगा। इसके लिए भक्त बेवसाइट पर जाकर टिकट बुक करा सकते हैं। फिलहाल महाकुंभ में हेलीकॉप्टर की डिमांड सबसे ज्यादा है। लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में महाकुंभ का आसमान के जरिए दीदार करना चाह रहे हैं।