How to keep kidneys healthy : किडनी हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है। यह शरीर के खून को साफ करने, पानी का संतुलन बनाए रखने और जरूरी पोषक तत्वों को शरीर में बनाए रखने का काम करती है। इसके अलावा, किडनी हार्मोन रिलीज करके ब्लड प्रेशर कंट्रोल करती है और हड्डियों को मजबूत बनाने वाले विटामिन डी को सक्रिय करती है। किडनी सही तरीके से काम करे, इसके लिए हमें हर साल किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) कराना चाहिए।
हर साल किडनी टेस्ट क्यों जरूरी है
आजकल का खानपान और लाइफस्टाइल किडनी पर काफी असर डालता है। ज्यादा तेल मसाले वाला और केमिकल युक्त खाना किडनी को नुकसान पहुंचाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, और हार्ट की बीमारियों से किडनी पर दबाव बढ़ता है। हर चार में से एक व्यक्ति को ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, जो किडनी के लिए खतरनाक हो सकती है। 30 साल की उम्र के बाद हर साल KFT कराने से समय रहते समस्या का पता चल सकता है और बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।
किडनी टेस्ट में क्या पता चलता है
किडनी फंक्शन टेस्ट में मुख्य रूप से ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) मापा जाता है। यह बताता है कि किडनी शरीर से गंदगी और अपशिष्ट पदार्थ कितनी अच्छी तरह बाहर निकाल रही है। इसका स्तर 90 से ज्यादा होना चाहिए।
क्रिएटिनिन लेवल
यह किडनी की कार्यक्षमता का संकेत देता है
बाइल और यूरिया लेवल इससे पता चलता है कि किडनी अपशिष्ट पदार्थों को कितनी प्रभावी तरीके से बाहर निकाल रही है।
यूरिन टेस्ट
यूरिन सैंपल से किडनी में संक्रमण, स्टोन, या अन्य समस्याओं का पता चलता है। यह जांच करता है कि किडनी प्रोटीन और अन्य जरूरी तत्वों को सही ढंग से छान रही है या नहीं।
किडनी डैमेज होने के लक्षण
किडनी खराब होने से पहले शरीर कुछ संकेत देता है:
पैरों में सूजन
किडनी खराब होने पर शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिससे पैर सूज सकते हैं।
बार-बार पेशाब आना किडनी की समस्या होने पर पेशाब की मात्रा और रंग बदल सकता है।भूख
भूख कम लगना
पेट में गंदगी जमा होने से जी मितलाना और भूख कम लगने की समस्या होती है।
सांस फूलना
किडनी सही तरीके से टॉक्सिन्स नहीं निकाल पाती, जिससे फेफड़े प्रभावित होते हैं।
थकान
किडनी खराब होने से खून में जहरीले पदार्थ जमा होते हैं, जिससे कमजोरी महसूस होती है।
ड्राई स्किन
खून में मिनरल्स के असंतुलन से खुजली और त्वचा में रूखापन हो सकता है।
नींद न आना
टॉक्सिन्स के जमा होने से नींद में परेशानी हो सकती है।
किडनी टेस्ट की नॉर्मल रेंज
सोडियम
135-145 mEq/L
पोटैशियम
3.0-5.0 mEq/
ईजीएफआर
60 से ज्यादा
क्रिएटिनिन
0.6-1.2 mg/dL
हर साल KFT कराने से समय रहते किडनी की समस्याओं का पता चल सकता है और इस गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।