Sangam Nose Prayagraj : प्रयागराज में महाकुंभ मेला का मुख्य आकर्षण संगम नोज़ है, जहां गंगा और यमुना नदियां मिलती हैं। यह वह जगह है, जहां लाखों श्रद्धालु आकर पवित्र स्नान करते हैं, ताकि वे अपने पापों से मुक्ति पा सकें और मोक्ष की प्राप्ति हो।
Sangam Nose पर दोनों नदियों का पानी अलग अलग रंग में दिखाई देता है। यमुना का पानी हल्का नीला होता है, जबकि गंगा का पानी मटमैला दिखाई देता है, और यही कारण है कि इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। संगम नोज़ पर स्नान करने से हिंदू धर्म में मोक्ष मिलने की मान्यता है, और यही कारण है कि यहां हर साल भारी भीड़ होती है।
संगम नोज़ की विशेषता और अहमियत
Sangam Nose की खास बात यह है कि यहां गंगा और यमुना का मिलन होता है, और इस स्थान को संगम घाट के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश पाण्डेय के मुताबिक, संगम नोज़ वह जगह है जहां अलग अलग अखाड़े अपने धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान करते हैं। उन्होंने बताया कि कुंभ के दौरान अखाड़ों के लिए अलग अलग रास्ते बनाए जाते हैं, ताकि वे आसानी से संगम तक पहुंच सकें। यही कारण है कि हर श्रद्धालु यहां स्नान करने की चाहत रखता है, क्योंकि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
संगम नोज़ का विस्तार और सुरक्षा उपाय
कुंभ मेले के दौरान भारी भीड़ को संभालने के लिए प्रयागराज में कई सुधार किए गए हैं। सिंचाई विभाग ने संगम नोज़ के इलाके को बढ़ाने का काम किया है। इसके लिए शास्त्री ब्रिज और संगम नोज़ के बीच 26 हेक्टेयर ज़मीन का विस्तार किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, इस काम को 85 दिनों में तीन शिफ्टों में किया गया और संगम नोज़ पर स्नान के लिए दो हेक्टेयर ज़मीन बढ़ाई गई। इसके साथ ही, रेत की बोरियों का उपयोग करके 1650 मीटर के क्षेत्र में भूमि का विस्तार किया गया है।
इसका परिणाम यह हुआ कि अबSangam Nose पर स्नान करने के लिए तीन गुना अधिक क्षेत्र उपलब्ध हो गया है। साल 2019 में एक घंटे में 50 हजार श्रद्धालु स्नान कर सकते थे, लेकिन अब यह क्षमता बढ़कर दो लाख से ज्यादा हो गई है। इस बदलाव से श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल रही है और भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।
अमृत स्नान के लिए सुरक्षा व्यवस्था
कुंभ के दौरान अमृत स्नान के दिन संगम घाट पर अत्यधिक भीड़ होती है। इस दिन प्रशासन ने अलग अलग रास्तों से श्रद्धालुओं को संगम घाट तक पहुंचने से रोकने के लिए नावों की सेवाएं बंद कर दी थीं। इससे श्रद्धालुओं ने शिकायत की थी कि वे अन्य घाटों से नावों के जरिए संगम घाट नहीं पहुंच पा रहे थे। प्रशासन का मकसद यह था कि भीड़ को नियंत्रित किया जाए और संगम घाट पर ज्यादा दबाव न पड़े।
Sangam Nose का महत्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि प्रशासन ने भी इस क्षेत्र को विस्तार देने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब, संगम नोज़ पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है, और सुरक्षा के लिए कड़े उपाय किए गए हैं। आने वाले समय में, इस क्षेत्र की सुरक्षा और सुव्यवस्था को बनाए रखने के लिए और भी कदम उठाए जाएंगे।