History of Union Budget in India आज 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत बजट सरकार की सालभर की अनुमानित आय और खर्च का ब्योरा होता है। आजादी के बाद पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया गया था। साल 2017-18 में रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया, जिससे 92 साल पुरानी इसकी अलग प्रस्तुति खत्म हो गई।
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में कई वित्त मंत्रियों की अहम भूमिका रही है। कई प्रधानमंत्रियों ने खुद वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया, जबकि कुछ वित्त मंत्री आगे चलकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बने। आइए जानते हैं कुछ खास वित्त मंत्रियों के बारे में।
जवाहरलाल नेहरू पहले पीएम, पहले वित्त मंत्री
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कुछ समय के लिए वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली थी। उनके कार्यकाल में उपहार कर (Gift Tax) लागू किया गया, जिससे कुछ खास मामलों को छोड़कर बाकी सभी को इस टैक्स के दायरे में लाया गया। उन्होंने संपत्ति कर से जुड़े नियमों में भी बदलाव किए।
मोरारजी देसाई ,सबसे ज्यादा बजट पेश करने वाले मंत्री
मोरारजी देसाई ने 10 बार बजट पेश किया, जो अब तक का रिकॉर्ड है। उन्होंने कृषि अनुसंधान को बढ़ावा दिया, जिससे हरित क्रांति की नींव पड़ी। उन्होंने 1968 में स्व-मूल्यांकन प्रणाली शुरू की, जिससे उत्पादकों को माल की सही कीमत तय करने की सुविधा मिली। उन्होंने गोल्ड कंट्रोल एक्ट भी पेश किया, जिसे बाद में हटा दिया गया।
इंदिरा गांधी ,महिला वित्त मंत्री और बैंक राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी देश की पहली महिला वित्त मंत्री भी थीं। 1970-71 के बजट में उन्होंने गरीबों के हितों को प्राथमिकता देने की बात कही। उनके नेतृत्व में श्वेत क्रांति (डेयरी उत्पादन बढ़ाने की मुहिम) को बढ़ावा मिला और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना हुई।
प्रणब मुखर्जी,एनआरआई निवेश और 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी
प्रणब मुखर्जी ने पहली बार इंदिरा गांधी सरकार में वित्त मंत्रालय संभाला और एनआरआई निवेश बढ़ाने पर जोर दिया। उनके कार्यकाल में सामाजिक सुरक्षा प्रमाणपत्र और पूंजी निवेश बांड जैसी योजनाएं आईं। बाद में, मनमोहन सिंह सरकार में रहते हुए उन्होंने 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी कराई और खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया।
डॉ. मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था के सुधारक
डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीति लागू की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने विदेशी निवेश को आसान बनाया और व्यापार नीतियों में सुधार किया। 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।
जसवंत सिंह ,सबसे कम समय के लिए वित्त मंत्री
जसवंत सिंह सिर्फ 15 दिनों के लिए वित्त मंत्री रहे। बाद में, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें दोबारा वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। उनके कार्यकाल में आयकर रिटर्न की ऑनलाइन फाइलिंग की शुरुआत हुई।
पी. चिदंबरम,’ड्रीम बजट’ और मनरेगा योजना
पी. चिदंबरम ने कर सुधारों पर ध्यान दिया और IDFC (इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी) स्थापित करने का सुझाव दिया। उनके ‘ड्रीम बजट’ में आयकर दरों में कटौती और कॉर्पोरेट टैक्स में सुधार की योजना थी। उनके कार्यकाल में मनरेगा योजना शुरू हुई, जिससे ग्रामीण मजदूरों को 100 दिन का रोजगार मिलने लगा।
अरुण जेटली ,जीएसटी लागू करने वाले मंत्री
अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त मंत्रालय की कमान संभाली। उन्होंने देशभर में एक समान कर व्यवस्था लागू करने के लिए जीएसटी लाया। नोटबंदी के दौरान भी वे वित्त मंत्री थे। उन्होंने बजट पेश करने की तारीख को फरवरी के आखिरी कार्य दिवस से बदलकर 1 फरवरी कर दिया।
पीयूष गोयल,अंतरिम बजट पेश करने वाले मंत्री
पीयूष गोयल ने 2019 में अस्थायी रूप से वित्त मंत्रालय संभाला और अरुण जेटली की गैरमौजूदगी में अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट में मध्यम वर्ग को टैक्स में राहत दी गई थी।
निर्मला सीतारमण ,दूसरी महिला वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला वित्त मंत्री हैं। उन्होंने 5 जुलाई 2019 को अपना पहला बजट पेश किया। उनके कार्यकाल में सुपर रिच पर अतिरिक्त टैक्स, नए आयकर स्लैब, सीमा शुल्क में बढ़ोतरी और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर दिया गया। डिजिटल करेंसी की शुरुआत का भी प्रस्ताव रखा गया। वे अब तक 6 वार्षिक और 1 अंतरिम बजट पेश कर चुकी हैं। 1 फरवरी 2025 को वे मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा और अपना आठवां बजट पेश करेंगी। भारत में वित्त मंत्रियों ने बजट पेश कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया।