कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति की जीवंत धरोहर है। संगम के तट पर स्नान करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जुटे हुए हैं। नागा साधु, तपस्वी और संत अपने आश्रमों में साधना और प्रवचन कर रहे हैं, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया है। हर सुबह और शाम गंगा आरती की दिव्य छटा श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है।
Kumbh Mela 2025 आधुनिक तकनीक और पारंपरिक आस्था का अनूठा संगम बन चुका है। प्रशासन ने इस विशाल आयोजन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएँ की हैं: श्रद्धालु मोबाइल एप और ऑनलाइन मैप की सहायता से कुंभ क्षेत्र की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी की मदद से सुरक्षा की निगरानी की जा रही है। जैविक कचरा निपटान और गंगा की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष टेंट सिटी बनाई गई है, जहाँ स्वच्छ पेयजल, शौचालय और भंडारे की उत्तम व्यवस्था है।
Kumbh Mela 2025 में योग, ध्यान, कथाएँ और संगीत के आयोजन हो रहे हैं। कलाकार लोकनृत्य और पारंपरिक संगीत प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। विभिन्न आध्यात्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा सेवा कार्य किए जा रहे हैं, जिससे यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और एकता का प्रतीक भी बन गया है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित कई गणमान्य हस्तियों और संत महात्माओं ने संगम में स्नान कर आस्था व्यक्त की। उनके आगमन से कुंभ की महिमा और अधिक बढ़ गई, और श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखने को मिला।
विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक कुंभ में भाग ले रहे हैं। वे भारतीय संस्कृति, योग और अध्यात्म को नजदीक से देख रहे हैं और इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बनकर भारत की आध्यात्मिक शक्ति को महसूस कर रहे हैं।
Kumbh Mela 2025 श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का महासंगम बना हुआ है। यह आयोजन केवल स्नान और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय परंपराओं, योग, सेवा और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश भी दे रहा है। हर क्षण आस्था और उल्लास से भरपूर यह कुंभ मेला आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
(दीपक अनंत मिश्र – भाजपा नेता)