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राम मंदिर के पुजारी महंत सत्येंद्र दास का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का बुधवार, 12 फरवरी को निधन हो गया। 80 वर्षीय महंत सत्येंद्र दास को ‘ब्रेन स्ट्रोक’ के चलते तबीयत बिगड़ने पर रविवार को लखनऊ के SGPGI में भर्ती कराया गया था।

Akhand Pratap Singh by Akhand Pratap Singh
February 12, 2025
in Breaking, उत्तर प्रदेश
Acharya Satyendra Das Death
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Acharya Satyendra Das Death: श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का बुधवार, 12 फरवरी को निधन हो गया। 80 वर्षीय महंत सत्येंद्र दास को ‘ब्रेन स्ट्रोक’ के चलते तबीयत बिगड़ने पर (Acharya Satyendra Das Death) रविवार को लखनऊ के SGPGI में भर्ती कराया गया था। वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से भी जूझ रहे थे।

अस्पताल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में पुष्टि की गई कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने आज अपनी अंतिम सांस ली। बताया गया कि उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक के कारण गंभीर स्थिति में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में भर्ती कराया गया था।

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सत्येंद्र दास कब से थे पुजारी 

महंत सत्येंद्र दास 6 दिसंबर 1992 को अस्थायी राम मंदिर के पुजारी थे जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी। वे राम मंदिर के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्य पुजारी रहे। महज 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक जीवन को अपनाने का निर्णय लिया था। उनका सम्मान न केवल अयोध्या में बल्कि उससे आगे भी बड़े स्तर पर किया जाता था।

यह भी पढ़े: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में मुकेश अंबानी को नहीं मिला VVIP ट्रीटमेंट, परिवार संग संगम में लगाई डुबकी

तंबू में की रामलला की पूजा-अर्चना

निर्वाणी अखाड़े से जुड़े महंत सत्येंद्र दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे। वे राम मंदिर और अयोध्या से जुड़ी जानकारी चाहने वाले मीडियाकर्मियों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे। जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराई गई तब उन्होंने मुख्य पुजारी के रूप में सेवा शुरू किए महज नौ महीने ही हुए थे।

इस घटना ने भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया लेकिन दास ने हमेशा राम मंदिर आंदोलन और इससे जुड़े सवालों का धैर्यपूर्वक उत्तर दिया। विध्वंस के बाद भी वे मुख्य पुजारी के रूप में बने रहे और जब रामलला की मूर्ति अस्थायी तंबू में स्थापित की गई तो उन्होंने वहां नियमित पूजा-अर्चना की।

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Akhand Pratap Singh

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