PM Modi in France: पीएम मोदी ने फ्रांस के मार्सिले में वीर सावरकर को याद किया, 1910 में अंग्रेजों की कैद से भागने की उनकी ऐतिहासिक कोशिश को सराहा। उन्होंने मार्सिले के लोगों और फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया, जिन्होंने उस समय सावरकर को ब्रिटिश अधिकारियों को सौंपने का विरोध किया था। साथ ही, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर में मार्सिले की अहम भूमिका पर भी चर्चा की। इस दौरे के दौरान PM Modi ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया। यह यात्रा ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टि से भारत-फ्रांस संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
मार्सिले में सावरकर की याद में पीएम मोदी का संबोधन
फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, PM Modi ने ऐतिहासिक शहर मार्सिले का दौरा किया और वहां विनायक दामोदर सावरकर की वीरता को याद किया। 1910 में, इसी शहर में सावरकर ने अंग्रेजों की कैद से भागने की कोशिश की थी। पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक घटना का स्मरण करते हुए कहा कि सावरकर की वीरता आज भी युवाओं को प्रेरणा देती है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मार्सिले भारत की आजादी की लड़ाई का गवाह रहा है। यहीं पर वीर सावरकर ने अंग्रेजों की कैद से भागने की कोशिश की थी। मैं मार्सिले के लोगों और उन फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मांग की थी कि सावरकर को ब्रिटिश सरकार को न सौंपा जाए।”
पीएम मोदी के इस बयान ने इतिहास के उस महत्वपूर्ण पल को एक बार फिर चर्चा में ला दिया, जब सावरकर ने अपनी बेड़ियों को तोड़ने का साहसिक प्रयास किया था।
कैसे उन्होंने मार्सिले में भागने की कोशिश की?
वीर सावरकर को 1909 में ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार किया था और 1910 में उन्हें पानी के रास्ते से भारत भेजा जा रहा था। जब उनका जहाज “एसएस मोरिया” मार्सिले के बंदरगाह पर रुका, तो उन्होंने मौका देखकर भागने की योजना बनाई।
सावरकर जहाज के टॉयलेट के रोशनदान से निकले और समुद्र में कूद गए। उन्होंने तैरकर फ्रांस के तट पर पहुंचने का प्रयास किया। हालांकि, फ्रांसीसी अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और बाद में ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया। इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि फ्रांस में इस गिरफ्तारी को अवैध माना गया।
मार्सिले में सावरकर की इस बहादुरी को इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, और पीएम मोदी की यात्रा ने इस घटना को फिर से लोगों के सामने ला दिया है।
मार्सिले की भारत के लिए रणनीतिक अहमियत
पीएम मोदी की यात्रा केवल ऐतिहासिक पहलुओं तक सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने मार्सिले की भौगोलिक और आर्थिक महत्ता को भी रेखांकित किया। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया।
मार्सिले यूरोप के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है और भारत-फ्रांस व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह शहर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) का भी अहम हिस्सा है।
IMEC परियोजना की महत्ता
IMEC परियोजना, जिसकी घोषणा G20 शिखर सम्मेलन 2023 में हुई थी, भारत को यूरोप और मध्य पूर्व से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इस कॉरिडोर के तहत भारत के पश्चिमी तट से मध्य पूर्व होते हुए यूरोप तक व्यापार की सुविधा बढ़ेगी। मार्सिले इस मार्ग के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं में से एक होगा।
PM Modi ने इस पहल को भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने के लिए एक बड़ा अवसर बताया।
सावरकर को लेकर बढ़ा विवाद
PM Modi के मार्सिले में सावरकर को श्रद्धांजलि देने पर भारत की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई।
समर्थन में
- भाजपा और समर्थक – बीजेपी नेताओं ने पीएम मोदी की इस पहल को स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को सम्मान देने वाला कदम बताया। उन्होंने सावरकर को महान क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि उनका बलिदान देश के युवाओं को प्रेरित करता रहेगा।
- सोशल मीडिया पर समर्थन – एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर #SavarkarLegacy और #ModiInFrance जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने इसे मोदी की सावरकर को सम्मान देने की पहल के रूप में देखा।
- शिवसेना (शिंदे गुट) – महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे गर्व का क्षण बताते हुए कहा कि सावरकर महाराष्ट्र की शान थे, और उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
विरोध में
- कांग्रेस और वामपंथी दल – कांग्रेस ने इसे एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और सावरकर के ब्रिटिश सरकार को दिए गए माफीनामे की याद दिलाई। उनका कहना था कि भाजपा इतिहास के केवल सुविधाजनक हिस्सों को उजागर कर रही है।
- सोशल मीडिया पर आलोचना – कई लोगों ने मोदी सरकार पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया और सावरकर के विवादित बयानों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
यह बहस यह दर्शाती है कि भारत में सावरकर की विरासत को लेकर मतभेद आज भी कायम हैं।
वीर सावरकर की वीरता के अन्य प्रमुख उदाहरण
वीर सावरकर केवल मार्सिले में भागने की कोशिश के लिए ही नहीं, बल्कि अपने पूरे जीवन में क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं।
- काला पानी की सजा – उन्हें अंडमान और निकोबार की सेलुलर जेल में कठोर कारावास की सजा दी गई थी, जहां उन्होंने अमानवीय परिस्थितियों में भी लिखना जारी रखा।
- 1857 की क्रांति पर लेखन – सावरकर ने 1857 के विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम बताया और इस पर एक महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी।
- अभिनव भारत सोसायटी – उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन चलाने के लिए इस संगठन की स्थापना की।
- हिंदुत्व की विचारधारा – उन्होंने “हिंदुत्व” शब्द को परिभाषित किया और एक मजबूत राष्ट्रवादी विचारधारा विकसित की।
इतिहास और वर्तमान का संगम
PM Modi की मार्सिले यात्रा ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रही। उन्होंने सावरकर की बहादुरी को याद कर स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय को फिर से उजागर किया। साथ ही, भारत-फ्रांस संबंधों को मजबूत करने और IMEC परियोजना को गति देने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया।
हालांकि, सावरकर को लेकर भारतीय राजनीति में हमेशा की तरह विवाद बना रहा। कुछ लोग उन्हें महान क्रांतिकारी मानते हैं, तो कुछ उनके विचारों की आलोचना करते हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि सावरकर का योगदान भारतीय इतिहास का एक अहम हिस्सा है, जिसे भूला पाना संभव नहीं है।