नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका गए हुए थे। इस मौके पर वह यूएसए के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप के अलावा कई अन्य दिग्गज हस्तियों से मिले। प्रेसीडेंट ट्रंप से मुलाकात के दौरान दोनों के बीच कई ऐतिहासिक फैसलों पर मुहर लगी। अमेरिका जहां भारत को एफ 35 फाइटर प्लेन देगा, वहीं इस्लामिक आतंकवाद के पनाहगारों पर दोनों देश मिलकर स्ट्राइक करेंगें। इसको लेकर दोनों देशों की ओर से संयुक्त बयान भी जारी किया गया। संयुक्त बयान पर पाकिस्तान तिलमिला उठा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
लगाम लगाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वाइट हाउस में मुलाकात हुई है। इस दौराना दोनों नेताओं ने कई महत्वपूर्ण फैसले किए। दोनों देशों ने कई सौदों पर बातचीत की है, जिसमें कच्चा तेल, डिफेंस, ऊर्जा और गैस जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए भी सहयोग को बढ़ाने का फैसला किया है। बैठक के दौरान, अमेरिका ने भारत को एक एफ-35 लड़ाकू विमान देने पर भी सहमति जताई। दोनों नेताओं की तरफ से जारी ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। इसके अलावा बांग्लादेश को लेकर ट्रंप ने कहा कि वहां की कमान हम पीएम मोदी के हाथों में है। पीएम मोदी बांग्लादेश को अपनी तरह से देख लेंगें
नाम लेकर पाकिस्तान को चेतावनी
दोनों नेताओं के ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि ‘वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ निश्चित ही लड़ाई लड़ी जानी चाहिए और आतंकवादियों को पनाह देने वाले ठिकानों को पूरी दुनिया से खत्म किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ग्लोबल टेरेरिज्म के खिलाफ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया। ज्वाइंट स्टेटमेंट में नाम लेकर पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि ‘पाकिस्तान अपने क्षेत्र का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए ना करे। ज्वाइंट स्टेटमेंट में अलकायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों की तरफ से आने वाले खतरों के खिलाफ सामूहिक तौर पर लड़ने को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है।
नाम लेने पर पाकिस्तान तिलमिलाया
ज्वाइंट स्टेटमेंट में पाकिस्तान का नाम लेने पर पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफाकत अली खान ने इस बयान को एकतरफा बताया। शफाकत अली खान ने कहा कि, अमेरिका और भारत का यह बयान न सिर्फ एकतरफा बल्कि भ्रामक भी है और राजनयिक मानदंडों के खिलाफ है। पाकिस्तान के विदेश प्रवक्ता शफाकत अली खान ने आगे कहा कि, पाकिस्तान हैरान है कि पाकिस्तान के बलिदानों को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए ऐसा बयान दिया गया। शफाकत अली खान ने कहा कि, इस तरह की बातों से भारत के आतंकवाद को समर्थन को छुपाया नहीं जा सकता है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अलावा पाक मीडिया में जबरदस्त शोर है। पाकिस्तानी कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
बांग्लादेश का मुद्दा उठाया
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के सामने बांग्लादेश का मुद्दा उठाया। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ बांग्लादेश के घटनाक्रम पर चिंताएं साझा कीं और यह बताया कि भारत इस स्थिति को कैसे देखता है?। उधर, ट्रंप ने बांग्लादेश में चल रहे संकट में अमेरिकी सरकार की किसी भी भूमिका से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि मैं बांग्लादेश को प्रधानमंत्री मोदी पर छोड़ता हूं। अब ट्रंप के इस बयान से साफ है कि भारत बांग्लादेश के मामले में खुलकर फैसला ले सकता है। इस बयान के बाद बांग्लादेश के कार्यवाहक पीएम मोहम्मद यूनिस के पैरों के तले से जमीन खिसक गई है। जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में बांग्लादेश में बड़े बदलाव हो सकते हैं। शेख हसीना का रूतबा भी बड़ सकता है।
बांग्लादेशियों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया
इनसब के व्हाइट हाउस के पास गुरुवार को बांग्लादेशियों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुहम्मद यूनुस के ’असंवैधानिक’ शासन को खत्म करने की मांग की। विरोध प्रदर्शन का आयोजन अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों ने किया था। प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की भी मांग की। बांग्लादेश की आबादी में आठ फीसदी हिंदू हैं। मगर शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद कट्टरपंथी लगातार हिंदुओं को निशाना बनाने में जुटे हैं। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया है कि बांग्लादेश में जुलाई और अगस्त 2024 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान 1,400 से अधिक लोग मारे गए होंगे।