Weightlifting Accident: खेल की दुनिया से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। 17 साल की जानी-मानी वेटलिफ्टर यष्टिका आचार्य की ट्रेनिंग के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। वह भारत की उभरती हुई खिलाड़ी थीं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुकी थीं।यह हादसा उस समय हुआ, जब यष्टिका 270 किलो वजन उठा रही थीं। वजन उठाते समय बैलेंस बिगड़ गया और भारी रॉड उनकी गर्दन पर गिर गई। इसके बाद वह वहीं गिर पड़ीं और उनकी मौत हो गई। इस भयानक घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया।
खेल जगत में शोक की लहर
यष्टिका आचार्य की अचानक मौत से खेल जगत में गहरा शोक है। उन्होंने अपने छोटे से करियर में ही कई बड़े खिताब जीते थे। वह भारत की वेटलिफ्टिंग में एक उभरता हुआ सितारा थीं, लेकिन इतनी कम उम्र में उनका इस तरह चला जाना वाकई दुखद है।खेल के जानकारों का कहना है कि यष्टिका बेहद मेहनती और जुनूनी खिलाड़ी थीं। वह लगातार खुद को बेहतर करने की कोशिश में लगी रहती थीं। लेकिन यह हादसा सभी को झकझोर कर रख देने वाला है।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यह हादसा टाला जा सकता था? क्या यह कोचिंग की लापरवाही थी, या फिर सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना? इसकी जांच की जा रही है।वेटलिफ्टिंग एक खतरनाक खेल माना जाता है, जहां थोड़ी सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि खिलाड़ियों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाए।
यष्टिका की उपलब्धियां
यष्टिका आचार्य ने अपने छोटे से करियर में ही कई बड़े खिताब अपने नाम किए थे। वह देश के लिए कई पदक जीत चुकी थीं और भारत की टॉप वेटलिफ्टर्स में शामिल थीं। उनकी मेहनत और लगन को देखकर हर कोई कहता था कि वह आगे चलकर भारत का नाम और भी ऊंचा करेंगी।लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब वह हमारे बीच नहीं रहीं।
खेल संघ की जिम्मेदारी
अब यह सवाल उठता है कि क्या खेल संघ इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा? यष्टिका की मौत ने वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग में सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।अगर भविष्य में ऐसे हादसों को रोकना है, तो सख्त नियमों की जरूरत है। खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के दौरान सुरक्षा के सभी उपायों को अपनाना जरूरी है, ताकि कोई और युवा खिलाड़ी इस तरह अपनी जान न गंवाए।