Kash Patel FBI Director: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 चुनावों में प्रमुख उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के करीबी काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के नए निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। अमेरिकी सीनेट ने 51-49 के मतों से उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी। भारतीय मूल के काश पटेल को ट्रंप का कट्टर समर्थक माना जाता है, और उनके एफबीआई प्रमुख बनने से अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
डेमोक्रेट्स का विरोध और पटेल की सफाई
Kash Patel की नियुक्ति को लेकर डेमोक्रेट सांसदों ने कड़ा विरोध जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि पटेल ट्रंप के प्रभाव में काम करेंगे और एफबीआई के राजनीतिकरण को बढ़ावा देंगे। हालांकि, काश पटेल ने सीनेट में स्पष्ट किया कि वह एफबीआई को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाएंगे। उनका कहना है कि एफबीआई को राजनीतिक प्रभाव से दूर रखना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने अपने विरोधियों को जवाब देते हुए कहा, “एफबीआई को पारदर्शी और जनता के विश्वास के अनुरूप बनाना मेरा लक्ष्य है।”
काश पटेल ने जताई खुशी
नियुक्ति के बाद काश पटेल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “यह मेरे लिए सम्मान की बात है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल बोंडी, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। अब समय आ गया है कि एफबीआई जनता की सेवा करे और राजनीतिक हस्तक्षेप को खत्म करे।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि एफबीआई में व्यापक सुधार किए जाएंगे और एजेंसी को पारंपरिक आपराधिक मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए नया रूप दिया जाएगा।
एफबीआई में होंगे बड़े बदलाव?
Kash Patel पहले ही संकेत दे चुके हैं कि एफबीआई के कामकाज में बड़े बदलाव किए जाएंगे। वे वाशिंगटन डी.सी. स्थित एफबीआई मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या कम करने और पारंपरिक कानून व्यवस्था लागू करने पर अधिक ध्यान देने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि एफबीआई को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों से ज्यादा अपराध नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।
कौन हैं काश पटेल?
भारतीय मूल के Kash Patel का जन्म न्यूयॉर्क में हुआ था, लेकिन उनके माता-पिता गुजरात से थे। उनका परिवार पहले युगांडा में बसा था, लेकिन नस्लीय भेदभाव के चलते वे कनाडा और फिर अमेरिका चले गए। काश पटेल ने यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड से इतिहास और आपराधिक न्याय की पढ़ाई की।
उनका करियर अमेरिका की न्याय प्रणाली से शुरू हुआ। उन्होंने पब्लिक डिफेंडर के रूप में काम किया और बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी। वे अमेरिकी कांग्रेस की हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के विशेष काउंसलर भी रह चुके हैं।
अयोध्या मंदिर को लेकर भी सुर्खियों में आए थे
काश पटेल केवल अमेरिकी राजनीति में ही नहीं, बल्कि भारतीय मामलों को लेकर भी मुखर रहे हैं। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का खुलकर समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि “विदेशी मीडिया 50 साल के विवाद को दिखा रहा है, लेकिन मंदिर के 500 साल पुराने इतिहास को नजरअंदाज कर रहा है।” उनके इस बयान ने भारत में भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
ट्रंप के पहले कार्यकाल में निभाई अहम भूमिका
ट्रंप के पहले कार्यकाल में Kash Patel ने राष्ट्रीय सुरक्षा के कई महत्वपूर्ण मामलों को संभाला। वे आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रहे और अल-कायदा के शीर्ष नेताओं अल बगदादी और कासिम अल-रिमी के खात्मे में उनकी अहम भूमिका थी। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका की संघीय और राज्य अदालतों में हत्या और तस्करी जैसे गंभीर मामलों को भी संभाला।
अमेरिका और भारत के रिश्तों पर क्या असर?
काश पटेल की नियुक्ति से अमेरिका और भारत के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। वे खुद को हिंदू बताते हैं और भारतीय मूल के नेताओं के प्रति हमेशा समर्थन दिखाते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका व्यक्तिगत संपर्क भी रहा है। उनके एफबीआई निदेशक बनने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत-अमेरिका संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
क्या ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में होगी बड़ी भूमिका?
2024 के राष्ट्रपति चुनावों में अगर डोनाल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो काश पटेल को और भी बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। पहले कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में अपनी छाप छोड़ी थी, और अब एफबीआई प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति ट्रंप की सरकार के लिए अहम साबित हो सकती है।
काश पटेल का एफबीआई निदेशक बनना अमेरिका की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। उनके समर्थकों का कहना है कि वे एफबीआई को राजनीति से दूर रखने में सफल होंगे, जबकि विरोधियों को आशंका है कि वे ट्रंप की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए एजेंसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब यह देखना होगा कि उनकी नियुक्ति अमेरिकी न्याय प्रणाली और राजनीति को किस दिशा में ले जाती है।