Hathras stampede case: हाथरस के मुगलगढ़ी में 2 जुलाई 2024 को हुए भयावह भगदड़ कांड की न्यायिक जांच में बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस घटना में 121 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हुई थी। जांच आयोग की रिपोर्ट में एक एसडीएम और एक पुलिस अधिकारी की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। वहीं सत्संग आयोजक (Hathras stampede case) विश्व हरि उर्फ भोले बाबा को जांच में क्लीन चिट दे दी गई है।
न्यायिक आयोग की रिपोर्ट जल्द होगी पेश
सूत्रों के मुताबिक भगदड़ की जांच में साकार नारायण विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला जिससे उन्हें पूरी तरह निर्दोष करार दिया गया। यह रिपोर्ट इसी सप्ताह विधानसभा में पेश की जा सकती है। गौरतलब है कि इस मामले की जांच के लिए 3 जुलाई को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया था।
आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) कर रहे थे जबकि रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड आईपीएस भावेश कुमार सिंह बतौर सदस्य जांच दल में शामिल थे। पहले जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया था लेकिन बाद में इसकी अवधि बढ़ा दी गई।
1500 से अधिक लोगों के बयान दर्ज
न्यायिक आयोग ने मामले से जुड़े 1500 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए और कई वैज्ञानिक साक्ष्य भी रिपोर्ट में शामिल किए। जांच रिपोर्ट लगभग पूरी हो चुकी है जिसमें एसडीएम और एक पुलिस अधिकारी की लापरवाही स्पष्ट रूप से सामने आई है।
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पुलिस ने 11 लोगों को बनाया आरोपी
भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बाद पुलिस ने मामले में कार्यक्रम की अनुमति दिलाने वाले समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया था। घटना के बाद मुख्य सचिव और डीजीपी सहित मुख्यमंत्री ने घटनास्थल का निरीक्षण किया था। दो दिन तक डीजीपी और मुख्य सचिव हाथरस में डेरा डाले रहे। रातोंरात सिकंदराराऊ कोतवाली में इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया और विवेचना सीओ सिटी रामप्रवेश राय को सौंपी गई। उनके साथ कोतवाली सदर इंस्पेक्टर विजय कुमार सिंह सहायक विवेचक के रूप में जांच टीम में शामिल रहे।
3200 पेज की चार्जशीट दाखिल.. सुनवाई बाकी
पुलिस ने घटना से जुड़े सभी प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज करने के बाद 3200 पेज की चार्जशीट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल की। हालांकि कोर्ट ने अभी आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लिया है। इस रिपोर्ट के सदन में पेश होने के बाद सरकार की ओर से कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। प्रशासनिक लापरवाही उजागर होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।