Jadavpur University Protest and Election जादवपुर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब वामपंथी छात्र संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह प्रदर्शन छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर किया गया था। शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के विश्वविद्यालय पहुंचने से पहले ही छात्रों ने नारेबाजी शुरू कर दी। जब मंत्री वहां पहुंचे, तो प्रदर्शनकारी छात्रों ने उन्हें घेर लिया और विरोध तेज कर दिया।
मंत्री की गाड़ी को रोका, टायरों की हवा निकाली
एसोसिएशन के अधिकारियों ने हालात को संभालने की कोशिश की और प्रदर्शनकारी छात्रों से हटने की अपील की। लेकिन स्थिति इतनी बिगड़ गई कि छात्रों और अधिकारियों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। गुस्साए छात्रों ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की कार को घेर लिया और टायरों की हवा तक निकाल दी। इसके बाद उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ की, बोनट और खिड़कियां तोड़ दीं, और गाड़ी पर जूते तक रख दिए।
मंत्री को बनाया बंधक, छात्रों के बीच झड़प
मंत्री को लगभग दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। हालात और ज्यादा बिगड़ गए जब प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच आपसी झड़प हो गई। इस झड़प में एक छात्र को बुरी तरह पीटा गया।
पहले भी विवादों में रहा है जादवपुर विश्वविद्यालय
जादवपुर विश्वविद्यालय पहले भी कई विवादों में रहा है। कभी हॉस्टल की बालकनी से गिरकर एक छात्रा की मौत का मामला सामने आया, तो कभी रैगिंग के आरोपों ने सुर्खियां बटोरीं। यहां के छात्र संगठन कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी विरोध कर चुके हैं।
हाल ही में, जादवपुर विश्वविद्यालय की एसएफआई यूनिट ने एक बयान जारी कर बताया कि 28 जनवरी 2025 से आरोपी छात्र एसएफआई संगठन का हिस्सा नहीं है।
वामपंथियों की बड़ी जीत
जादवपुर विश्वविद्यालय में लंबे समय से रुके हुए को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी चुनाव हाल ही में संपन्न हुए। इस चुनाव में 58 सीटों में से 51 पर वामपंथी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की, जबकि शासक दल के समर्थित उम्मीदवार सिर्फ 7 सीटें ही जीत सके।
लंबे इंतजार के बाद हुआ चुनाव
2021 के बाद से यह चुनाव कई कारणों से रुका हुआ था। सरकारी आदेश के चलते चुनाव को स्थगित कर दिया गया था, जिससे काफी विवाद हुआ। आखिरकार, अदालत के हस्तक्षेप के बाद 2024 में यह चुनाव संपन्न हो सका।
आरोप लगे कि अदालत से मंजूरी मिलने के बावजूद चुनाव को रोकने की कोशिश की गई थी। लेकिन शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों से सभी बाधाओं को पार करते हुए चुनाव सफलतापूर्वक हुआ।
कैसे हुई हार जीत
शुक्रवार को हुए चुनाव में लगभग 125 उम्मीदवारों ने भाग लिया। जब नतीजे आए, तो साफ हो गया कि लोकतांत्रिक उम्मीदवारों ने भारी मतों से जीत दर्ज की। उन्हें 51 सीटें मिलीं, जबकि शासक दल समर्थित उम्मीदवार केवल 7 सीटों पर जीत सके।
वामपंथी फिर से मजबूत हो रहे हैं
एक समय जादवपुर विश्वविद्यालय वामपंथियों का गढ़ माना जाता था। लेकिन राज्य में सत्ता बदलने के बाद उनकी ताकत कम होती गई। हालांकि, इस चुनाव ने साबित कर दिया कि वामपंथी विचारधारा अभी भी विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच मजबूत बनी हुई है।
नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों की योजना
जीत के बाद नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों ने कहा कि वे सहकारी समितियों के कार्यों को पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों का धन्यवाद किया और भरोसा दिलाया कि भविष्य में बेहतर काम किया जाएगा।
जादवपुर विश्वविद्यालय में हुए हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया कि वहां का माहौल कितना संवेदनशील है। शिक्षा मंत्री के विरोध से लेकर वामपंथियों की जीत तक, हर चीज ने यह साबित कर दिया कि यह संस्थान अभी भी राजनीतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय है।