लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बीएसपी चीफ मायावती ने अपने भतीजे व नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से बेदखल कर ब़ड़ा उलटफेर कर दिया। इसके साथ ही बीएसपी चीफ ने ये भी ऐलान किया कि, पार्टी के अंदर अब उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि जब तक वह जिंदा हैं, उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। वहीं मायावती के इस फैसले के बाद आकाश आनंद की तरफ से भी पहला रिएक्शन सामने आया है। आकाश आनंद ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा है कि बहन जी का हर फैसला उनके लिए पत्थर की लकीर के समान है और वह उनके हर फैसले का सम्मान करते हैं। इनसब के बीच बुआ-भतीजे की रार के पीछे को लेकर कई सोशल मीडिया से लेकर टीवी व अखबारों में कई तरह की खबरें चल रही हैं। जानकार बता रहे हैं कि मायावती ने अपने समधी प्रोफेसर अशेक सिद्धाथ के चलते ये बड़ा कदम उठाया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मायावती ने रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश सहित आल इंडिया के सभी छोटे-बड़े पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को सभी पद से हटा दिया है। अब आनंद कुमार और रामजी गौतम को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। साथ ही दोनों के कार्यों का बंटवारा कर दिया गया है। इस मौके पर बीएसपी चीफ ने कहा कि, डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। मायावती ने कहा कि डॉक्टर सिद्धार्थ ने उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में पार्टी को गुटों में बांटकर इसे कमजोर करने का काम किया। मायावती ने कहा कि ऐसे में पार्टी के हित में आकाश आनंद को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है, जिसके लिए पार्टी नहीं बल्कि पूर्ण रूप से इनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार हैं। जिन्होंने आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को भी खराब कर दिया है। अब इसके स्थान पर पूर्व की तरह ही आनंद कुमार ही पार्टी का सभी कार्य करते रहेंगे।
कौन हैं डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ
पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ का जन्म 5 फरवरी 1965 को हुआ था। वो फर्रुखाबाद के कायमगंज रहने हैं। पूर्व सांसद डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ ने फर्रुखाबाद जिले के गुरसहायगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती के दौरान मायावती के निर्देश पर वर्ष 2008 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति शुरू की और 2009 में विधानपरिषद के सदस्य बन गए। डॉक्टर सिद्धार्थ ने मेडिकल कालेज झांसी से आर्थोमेट्री डिप्लोमा प्राप्त किया है। सरकारी सेवा के दौरान बामसेफ से जुड़े। डा. सिद्धार्थ की पत्नी सुनीता वर्ष 2007 से 2012 तक राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। अशोक सिद्धार्थ के पिता बसपा संस्थापक कांशीराम के सहयोगी रहे हैं। अशोक सिद्धार्थ बसपा सुप्रीमो के बेहद करीबी और खास माने जाते थे। डॉक्टर सिद्धार्थ को बीएसपी का चाणक्य कहा जाता था।
मायावती के समधी हैं डॉक्टर सिद्धार्थ
अशोक सिद्धार्थ को लेकर ये भी कहा जाता था कि वो पर्दे के पीछे रहकर काम करते थे। वो हमेशा चर्चाओं से दूर रहते थे। मायावती ने अपने बड़े भतीजे आकाश आनंद की शादी अशोक सिद्धार्थ से की थी। आकाश आनंद की शादी मार्च 2023 में पूर्व बीएसपी सांसद की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से गुरुग्राम में हुई थी। इस कार्यक्रम में मायावती भी शामिल हुई थी, जिसके बाद अशोक सिद्धार्थ और आकाश आनंद चर्चाओं में आ गए थे। अशोक सिद्धार्थ मायावती के भाई आनंद कुमार के सबसे करीबी मित्र रहे हैं। मायावती और उनके भाई के करीबी होने के नाते ही बसपा ने पार्टी के कद्दावर नेता सतीश चंद्र मिश्र के साथ उन्हें भी राज्यसभा भेजा था।
सिर्फ दो नेताओं को मिली थी छूट
नसीमुद्दीन सिद्दकी के बसपा से हटाए जाने के बाद डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ का कद पार्टी में बड़ गया। मायावती डॉक्टर सिद्धार्थ के अलावा सतीश मिश्रा से मंथन के बाद ही कोई बड़ा कदम उठाती थीं। जानकारों की मानें तो मायावती से बिना समय लिए और बिना जांच के दो नेताओं को मिलने की अनुमति है। यह दोनों नेता किसी भी वक्त बसपा प्रमुख से मिल सकते हैं। पहले सिर्फ इसकी इजादत पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी को मिली थी। जानकारों का कहना है कि मायावती ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को राहुल गांधी पर तिपण्णी पर नहीं बल्कि, एक खास समाज के लोगों पर जुमले के चलते बाहर किया था।
कर्नाटक में बनवाई थी जेडीएस की सरकार
मायावती ने कर्नाटक का प्रभार डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को दिया हुआ था। वह विधानसभा चुनाव से दो माह पहले बेंगलुरू पहुंच गए थे और एचडी देवगौड़ा के दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा। जहां बसपा के दक्षिण में पहली बार खाता खुला। मतगणना के बाद किसी भी दल को जब बहुमत नहीं मिला तो डॉक्टर सिद्धार्थ एक्शन में आए और मायावती से बात कर सोनिया गांधी को एचडी देवगौड़ा से बात करने को कहा। मायावती ने सोनिया गांधी से बात कर कुमास्वामी को सीएम बनाए जाने को कहा। सोनिया गांधी ने तत्काल एचडी देवगौड़ा से बात की और कर्नाटक में कांग्रेस, बसपा और कुमास्वामी की सरकार बन गई।
आकाश आनंद हैं डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ के दामाद
आकाश आनंद डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ के दामाद हैं। आकाश आनंद की शादी डॉक्टर प्रज्ञा के साथ दो साल पहले हुई थी। जानकार बताते हैं कि शादी के बाद से आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ और उनकी बेटी डॉक्टर प्रज्ञा की ईशान आनंद से दूरी बढ़ती जा रही थी। जानकार बताते हैं कि आकाश आनंद की पकड़ बीएसपी में अच्छी हो रही थी। लोकसभा चुनाव में उसके तेवर सबने देखे। मायावती के यसमैन वाले ढांचे में ये फिट नहीं आ रहे थे। मायावती को आनंद कुमार और रामजी गौतम जैसे नेता चाहिए जो आंख बंद कर के बहनजी के फैसले को पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ले जाएं। साथ ही ईशान का कद भी आकाश आनंद के चलते पार्टी में कमजोर पड़ रहा था। ऐसे में मायावती ने एक तीर से दो निशाने साधे।
इसको लेकर भी ये कार्रवाई
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अशोक सिद्धार्थ की वजह से छोटे भतीजे ईशान आनंद अलग थलग न पड़े और पार्टी में ससुर-दामाद गठजोड़ न दिखे इसको लेकर भी ये कार्रवाई हुई है। अशोक सिद्धार्थ जो कभी बसपा सुप्रीमो के भरोसेमंद हुआ करते थे पहले उनको बाहर किया गया और अब आकाश आनंद को भी हाशिए पर डाल दिया गया है। जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में ईशान का कद पार्टी में बड़ेगा। ईशान आकाश आनंद की कुर्सी पर बैठाए जा सकते हैं। जानकार बताते हैं कि मायावती डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ और उनकी बेटी से बहुत नाराज हैं। डॉक्टर की बेटी पति आकाश आनंद के साथ मिलकर पार्टी में बड़े स्तर पर फैसले कर रही थीं। इसकी जानकारी मायावती को हुई तो उन्होंने ससुर के बाद दामाद पर भी गाज गिरा दी।
अब आनंद कुमार संभालेंगे कामकाज
मायावती ने बताया कि आनंद कुमार, जो पार्टी में पिछले काफी वर्षों से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं, यह मेरी गैर-हाजिरी में और मेरे दिशा-निर्देशन में पार्टी का पूरा पेपर-वर्क, खासकर पार्टी का इनकम टैक्स एवं कोर्ट-कचहरी आदि से संबंधित तथा पूरे देश में चुनाव के दौरान मेरे चुनावी दौरे आदि का भी पूरा प्रबंधन का कार्य देखते रहेंगे। मायावती ने कहा अब यह दिल्ली में पार्टी का सभी जरूरी कार्य देखने के साथ-साथ पूरे देश में पार्टी के लोगों से अपना पूरा संपर्क भी बनाकर रखते हैं, जिसकी पूरी जानकारी समय-समय पर यह मुझे देते हैं। इसलिए वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अब इन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए रखने के साथ-साथ पार्टी में इन्हें पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर भी बना दिया गया है। अब पार्टी ने दूसरा नेशनल कोऑर्डिनेटर रामजी गौतम को नियुक्त किया है।
अन्य रिश्ते-नाते आदि सभी बाद में
मायावती ने कहा कि आनंद कुमार के बारे में मैं यह भी अवगत कराना चाहती हूं कि वर्तमान में बदले हुए हालात में, पार्टी और मूवमेंट के हित में अब इन्होंने अपने बच्चों का रिश्ता भी गैर-राजनैतिक परिवार के साथ ही जोड़ने का फैसला लिया है। ताकि अशोक सिद्धार्थ की तरह अब आगे कभी भी अपनी पार्टी को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान आदि न हो सके। मायावती ने कहा कि अब मैंने यह फैसला लिया है कि मेरे जीते जी और मेरे आखिरी सांस तक भी अब पार्टी में मेरा कोई भी उत्तराधिकारी नहीं होगा। जिस फैसले का पार्टी के लोगों ने दिल से स्वागत किया। मायावती ने अपनी उस बात को आज फिर से दोहराया है कि मेरे लिए पार्टी और मूवमेंट पहले है। भाई-बहन और उनके बच्चे तथा अन्य रिश्ते-नाते आदि सभी बाद में हैं।