कानपुर ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के बांदा की रहने वाली शहजादी खान को 15 फरवरी को अबू धाबी में सजा-ए-मौत दे दी गई। 5 मार्च को अबू धाबी के एक कब्रिस्तान में शहजादी के शव को दफनाया गया। शहजादी के अंतिम संस्कार में परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ। यूएई कानून के तहत मौत की सजा पाए आरोपियों को फांसी के बजाए दिल में गोली मारी जाती है। ऐसे में शहजादी के दिल में गोली मारी गई।
दिल पर गोली मारकर सजा-ए-मौत दी
शहजादी को अबू धाबी के अल बाथवा जेल में 15 फरवरी की सुबह ठीक साढ़े पांच बजे फायरिंग स्क्वाय़ड ने दिल पर गोली मारकर सजा-ए-मौत दी थी। फायरिंग स्क्वाय़ड में कुल 5 लोग थे। शहजादी को एक खास किस्म का कपड़ा पहनाकर एक पोल से बांध दिया गया था। उसके दोनों हाथ पीछे की तरफ बंधे थे। दिल के ठीक ऊपर एक कपड़े का टुकड़ा लगाया गया था, ताकि गोली चलाने वाले के लिए दिल का निशाना लेकर गोली चलाना आसान हो। इसके बाद फायरिंग स्क्वायड ने शहजादी के दिल में गोली मारकर मौत दे दी।
एक फायरिंग स्क्वायड, दूसरा फांसी
यूएई में मृत्युदंड देने के दो तरीके हैं। एक फायरिंग स्क्वायड, दूसरा फांसी। लेकिन वहां ज्यादातर मामलों में फायरिंग स्क्वायड का इस्तेमाल मृत्युदंड के लिए किया जाता है। इसमें दोषी को जेल के अंदर एक गुप्त स्थान पर ले जाया जाता है। जहां उसे एक निश्चित स्थान पर खड़ाकर दिया जाता है। इसके बाद फायरिंग स्क्वायड दोषी के दिल पर गोलियां मारकर उसे मौत के घाट उतार देते हैं। यूएई में मृत्युदंड देने में फांसी का इस्तेमाल कम ही किया जाता है। विशेष केस जैसे जासूसी या यौन अपराधों में फांसी का दंड दिया जाता है।
इन अपराधों में मृत्युदंड का प्रावधान
यूएई में हत्या, आतंकवाद, बलात्कार, ड्रग तस्करी, देशद्रोह, ईश निंदा जैसे अपराधों में मृत्यु दंड देने का प्रावधान है। कोई भी मामला पहले निचली अदालत में जाता है और वहां सबूतों की जांच के बाद दोषी दंड सुनाया जाता है। इसके बाद आरोपी कोर्ट ऑफ कैसेशन में अपील कर सकता है। शहजादी को कोर्ट ऑफ कैसेशन ने भी मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। सजा मिलने के बाद यूएई के राष्ट्रपति या अमीरात के शासक के पास दया याचिका का भी मौका होता है। शहजादी के पक्ष में दया याचिका दाखिल करने की जानकारी सामने आई है. जिसे भारतीय दूतावास ने दाखिल किया था। लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।
अब जानें शहजादी को क्यों दिया गया मृत्युदंड
उत्तर प्रदेश के बांदा की रहने वाली शहजादी दिसंबर 2021 में वीजा मिलने के बाद अबूधाबी गई थी। अगस्त 2022 में मालिक के घर बच्चा हुआ और देखभाल की जिम्मेदारी शहजादी को दी गई। 7 दिसंबर 2022 के बच्चे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बच्चे के परिवारवालों ने शहजादी पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने केस दर्ज किया और शहजादी को अरेस्ट कर लिया। यूएई पुलिस ने शहजादी को अबूधाबी की अल वथबा जेल में रखा। शहजादी पर निचली अदालत में केस चला। कोर्ट ने शहजादी को मृत्युदंड की सजा सुनाई। शहजादी ने कोर्ट ऑफ कैसेशन में अपील की। कोर्ट ने शहजादी को हत्या का दोषी ठहराया। मई 2024 में शहजादी के पिता शब्बीर खान ने दया याचिका दाखिल की। लेकिन याचिका पर गौर नहीं किया गया और 15 फरवरी को शहजादी को मौत की सजा दे दी गई।
शव को दफनाया गया
शहजादी के शव को 5 मार्च गुरुवार को अबू धाबी में दोपहर के ठीक 12.30 बजे अबू धाबी के कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। शहजादी की कब्र का नंबर ।7ै1 954 है। शहजादी के घर से जनाजे में हिस्सा लेने के लिए यूपी के बांदा से कोई भी अबू धाबी नहीं पहुंचा था। अबू धाबी के अधिकारियों ने ये पहले ही कह दिया था कि शहजादी की लाश 5 मार्च तक मुर्दाघर में रहेगी। इसके बाद अगर परिवार का कोई शख्स नहीं आता है तो भी उसे दफ्ना दिया जाएगा। शहजादी के वालिद शब्बीर खान और उनकी बीवी इतने कम वक्त में अबू धाबी के सफर का इंतजाम नहीं कर पाए थे।
अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताते थे
5 मार्च की मियाद बीतते ही 6 मार्च की सुबह अबू धाबी से शब्बीर खान के पास एक फोन आता है। शायद ये फोन यूएई में मौजूद भारतीय दूतावास से था। इस फोन पर शब्बीर खान को बताया जाता है कि शहजादी को अबू धाबी के लोकल टाइम के मुताबिक दोपहर के ठीक 12.30 बजे दफना दिया जाएगा। आखिरी रस्म में हिस्सा लेने के लिए नाम पूछने पर शहजादी के वालिद अबू धाबी में मौजदू अपने दो रिश्तेदारों के नाम बताते थे। शहजादी के परिवारवालों का कहना है कि इनकी सजा-ए-मौत रोकने के लिए भारत सरकार समेत किसी ने भी उनकी मदद नहीं की.।यहां तक की उन्हें सही-सही जानकारी भी नहीं दी गई।
विदेश मंत्रालय को नोटिस
दरअसल, यूएई या अबू धाबी की अथॉरिटी की तरफ से बांदा में रहने वाले शहजादी के मां बाप को उसकी फांसी की ऑफिशियली कोई जानकारी नहीं दी गई थी, सिवाय 14 फरवरी की रात आए शहजादी के आखिरी फोन कॉल के। शहजादी की फांसी की सच्चाई जानने के लिए शहजादी के पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। 26 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उन्होंने ये शिकायत की थी कि उन्हें उनकी बेटी शहजादी की फांसी को लेकर ना तो अबू धाबी और ना ही भारत सरकार से कोई सही-सही जानकारी दी जा रही है। इसी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी कर 3 मार्च को इस पर अपना जवाब देने को कहा था।
शहजादी का नाम भी शामिल करने की गुजारिश
3 मार्च यानि सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में विदेश मंत्रालय ने ये जानकारी दी कि शहजादी को 15 फरवरी की सुबह ही फांसी दी जा चुकी है। विदेश मंत्रालय का कहना था कि उन्हें खुद शहजादी की फांसी की खबर 13 दिन बाद यानि 28 फरवरी को मिली थी। भारतीय दूतावास के अधिकारी शहजादी से मिलने के लिए तीन बार 29 अप्रैल 2024, 5 जून 2024 और आखिरी बार 4 अक्टूबर 2024 को जेल गए थे। 2 सितंबर 2024 को भारतीय दूतावास ने यूएई के विदेश मंत्रालय को शहजादी को माफी देने के लिए मर्सी पिटीशन भी दाखिल की थी। भारतीय एंबेसी ने यूएई में शहजादी की मदद के लिए लीगल फर्म को भी हायर किया था। भारत सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट मे ये भी बताया कि भारतीय एंबेसी के जरिए यूएई की सरकार को 6 नवंबर 2024 को मनाए जाने वाले उनके नेशनल डे पर माफी पाने वालों की लिस्ट में शहजादी का नाम भी शामिल करने की गुजारिश की थी।